Himachalnow / शिमला
अवैध निर्माण का मामला
राजधानी शिमला के उपनगर संजौली की मस्जिद में अवैध निर्माण के मामले में आज जिला अदालत अंतिम फैसला दे सकती है। नगर निगम कोर्ट ने मस्जिद की अवैध मंजिलों को दो माह में गिराने का निर्देश दिया था। इस फैसले के खिलाफ ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर कमेटी ने जिला अदालत में याचिका दायर की है। यह मामला आज न्यायमूर्ति प्रवीण गर्ग की अदालत में लिस्टेड है और अदालत आज इस मामले में अपना फैसला सुना सकती है।
वक्फ बोर्ड का हलफनामा
बीते 22 नवंबर को हुई सुनवाई में हिमाचल वक्फ बोर्ड ने अदालत में शपथ पत्र पेश किया। वक्फ बोर्ड ने बताया कि उसने मोहम्मद लतीफ को अवैध निर्माण हटाने के लिए NOC (No Objection Certificate) दी थी। वक्फ बोर्ड ने यह भी बताया कि मोहम्मद लतीफ ही संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष थे।
मोहम्मद लतीफ का बयान
मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ ने अपने बयान में कहा था कि एक मंजिल पहले ही हटा दी गई है, लेकिन मजदूरों की कमी के कारण काम अधूरा रह गया। उन्होंने नगर निगम से और समय अवधि की मांग की है ताकि निर्माण कार्य को पूरा किया जा सके। लतीफ ने यह भी कहा कि यह पहल हिमाचल में शांति बनाए रखने के लिए की गई थी और जिन लोगों ने अवैध निर्माण किया है, उन्हें सजा मिलनी चाहिए।
मुस्लिम वेलफेयर कमेटी की आपत्ति
संजौली मस्जिद कमेटी की ओर से नगर निगम आयुक्त की अदालत में मस्जिद की तीन अवैध मंजिलों को हटाने के लिए एक आग्रह पत्र प्रस्तुत किया गया था। नगर निगम आयुक्त ने मामले में सुनवाई के दौरान दो महीने में अपने खर्च पर अवैध मंजिलों को गिराने का आदेश दिया। इस फैसले पर मुस्लिम वेलफेयर कमेटी ने जिला अदालत में याचिका दायर कर आपत्ति जताई थी।
आगे की सुनवाई और संभावित परिणाम
यह मामला जिला अदालत में चल रहा है और अदालत आज फैसला सुना सकती है। इस मामले में दोनों पक्षों के अलग-अलग रुख हैं, और अदालत का निर्णय इस विवाद का अंतिम समाधान हो सकता है।