HNN/ नाहन
शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से शुरू हुई है, जो कि 05 सितंबर को समाप्त होगी। हिंदू धर्म में नवरात्रि का खास महत्व होता है। वैसे तो नवरात्रि के पूरे नौ दिन खास होते हैं, लेकिन अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन करने की भी परंपरा है। कहते हैं इसके बिना देवी की उपासना अधूरी मानी जाती है। कन्या पूजन करने से नवरात्रि के 9 दिन के व्रत और पूजा का पूर्ण फल मिलता है।
कन्या पूजन कब ?
नवरात्रि में कुछ लोग अष्टमी तो कुछ लोग नवमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं। यदि आप अष्टमी के दिन कन्या पूजन करते हैं, तो अष्टमी तिथि की शुरुआत 02 अक्टूबर 2022 को शाम 06 बजकर 48 मिनट से हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 03 अक्टूबर 2022 को शाम 04 बजकर 37 मिनट पर हो रहा है। इसके अलावा यदि आप नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं, तो इस तिथि की शुरुआत 03 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 37 मिनट हो रही है, जिसका समापन 4 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 20 मिनट पर रहा है। ऐसे में 3 या 4 अक्टूबर को अष्ठमी या नवमी के दिन आप कन्या पूजन कर सकते हैं।
कन्या पूजन का महत्व
कन्याओं को साक्षात मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। कहा जाता है कि कन्या पूजन के बिना नवरात्रि का पूरा फल नहीं मिलता है। कन्या पूजन से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इससे माता रानी प्रसन्न होती हैं और सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं की पूजा करने से अलग-अलग फलों की प्राप्ति होती है।
कन्या पूजन विधि
दुर्गाष्टमी या राम नवमी, जिस दिन भी आप कन्या पूजन करना चाहते हैं उस दिन सबसे पहले मां दुर्गा की पूजा करें। फिर नौ कन्याओं के साथ एक लांगूरा (लड़का) को भोजन पर आमंत्रित करें। कन्या को घर में पधारने पर आदरपूर्वक उनको आसन पर बैठाएं। इसके बाद साफ जल से उनके पांव पखारें, उनकी फूल, अक्षत् आदि से पूजा करें। इस दिन हलवा, चना और पूड़ी बनाते हैं। घर पर बने पकवान भोजन के लिए कन्याओं को दें। मां दुर्गा स्वरूप कन्याओं को भोजन कराने के बाद दक्षिणा दें और उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें। इसके बाद खुशी खुशी उनको विदा करें, ताकि अगले साल फिर आपके घर माता रानी का आगमन हो।