Himachalnow / Delhi
गणतंत्र दिवस के अवसर पर हर साल दिल्ली में आयोजित होने वाली भव्य परेड में इस बार भारतीय सेना द्वारा निर्मित दो शक्तिशाली मिसाइलें—नाग और प्रलय—दिखाई जाएंगी। ये दोनों मिसाइलें स्वदेशी तकनीक से विकसित की गई हैं और भारतीय सेना की ताकत का प्रतीक मानी जाती हैं। आइए जानते हैं इन मिसाइलों की विशेषताओं और उनके महत्व के बारे में।
प्रलय मिसाइल: भारत की नई ताकत
गणतंत्र दिवस परेड में पहली बार लोगों को प्रलय मिसाइल देखने का अवसर मिलेगा। यह शॉर्ट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (SRBM) भारतीय रक्षा प्रणाली का एक अहम हिस्सा बन चुकी है। प्रलय मिसाइल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह न्यूक्लियर हथियारों को भी अपने साथ ले जाने की क्षमता रखती है।
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प्रलय मिसाइल की विशेषताएँ
- स्वदेशी विकास: इस मिसाइल को डीआरडीओ (Defence Research and Development Organisation) द्वारा विकसित किया गया है।
- मारक क्षमता: यह 150 से 500 किमी तक की दूरी तक मार कर सकती है।
- लचीलापन: प्रलय मिसाइल की एक और महत्वपूर्ण विशेषता है कि इसे लॉन्च के बाद दिशा बदलने की क्षमता मिलती है, जिससे यह दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को चुनौती दे सकती है।
- पेलोड क्षमता: इसकी पेलोड क्षमता 500 से 1000 किलोग्राम तक होती है, जिससे यह विभिन्न प्रकार के विस्फोटक सामग्री ले जाने में सक्षम है।
- पहले सफल परीक्षण: इस मिसाइल का पहला परीक्षण दिसंबर 2021 में किया गया था, और इसके बाद इसके सभी परीक्षण सफल रहे हैं, जिनमें तीसरा परीक्षण 2023 में हुआ।
नाग मिसाइल: एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल
गणतंत्र दिवस परेड में दिखने वाली दूसरी मिसाइल नाग मिसाइल होगी, जिसे भारतीय सेना की सशस्त्र ताकत का प्रतीक माना जाता है। यह मिसाइल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) है, जिसे डीआरडीओ द्वारा विकसित किया गया है।
नाग मिसाइल की विशेषताएँ
- गति और रेंज: इस मिसाइल की रफ्तार 1 से 1.6 मच (मैक) के बीच है, और यह टैंक जैसे स्थिर और गतिशील लक्ष्यों को भेदने के लिए तैयार की गई है।
- वजन: नाग मिसाइल का वजन लगभग 5 टन होता है, और यह परमाणु हथियारों को भी ले जाने में सक्षम है।
- सैन्य में समावेश: यह मिसाइल भारतीय सेना में शामिल होने से पहले गणतंत्र दिवस परेड में दिखेगी, और यह परेड के दौरान भारतीय सैन्य शक्ति का प्रतीक बनेगी।
भारत की मिसाइलों का महत्व
प्रलय और नाग मिसाइलों का प्रदर्शन भारत की आत्मनिर्भरता और सैन्य शक्ति का प्रतीक है। ये मिसाइलें न केवल भारतीय सेना को सामरिक दृष्टि से मजबूत बनाती हैं, बल्कि देश की रक्षा तकनीक में भी एक बड़ा कदम साबित होती हैं। इन मिसाइलों को स्वदेशी तकनीक से तैयार किया गया है, जिससे देश की रक्षा तैयारियों को एक नई दिशा मिल रही है।
निष्कर्ष
गणतंत्र दिवस परेड में प्रलय और नाग मिसाइलों का प्रदर्शन यह दर्शाता है कि भारत अपने रक्षा क्षेत्र में कितनी तेजी से आत्मनिर्भर बन रहा है। इन मिसाइलों के परीक्षण और सफलता ने भारतीय सेना को और भी अधिक मजबूत बनाया है। 26 जनवरी को होने वाली परेड में इन शक्तिशाली मिसाइलों को देखना भारतीयों के लिए गर्व का विषय होगा।
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