Himachalnow / नाहन
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए एक लेख लिखा। इस लेख में उन्होंने वाजपेयी जी के जीवन, विचारधारा और उनके द्वारा किए गए ऐतिहासिक कार्यों का उल्लेख किया।
अटल जी के प्रेरणादायक शब्द
पीएम मोदी ने वाजपेयी जी के साहसिक और प्रेरणादायक शब्दों का जिक्र करते हुए लिखा,
“मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूं… लौटकर आऊंगा, कूच से क्यों डरूं?”
अटल जी का जीवन उनके इन शब्दों का जीवंत उदाहरण था। वह कभी किसी चुनौती से नहीं डरे और न ही किसी दबाव में आए।
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सुशासन और स्थिरता का मॉडल
1998 में जब वाजपेयी जी ने प्रधानमंत्री पद संभाला, तब भारत राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा था।
- स्थिरता का उदाहरण: वाजपेयी जी ने अपने नेतृत्व से भारत को स्थिरता और सुशासन का मॉडल दिया।
- आर्थिक और सामाजिक विकास: उन्होंने 21वीं सदी को भारत की सदी बनाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी, दूरसंचार और बुनियादी ढांचे में क्रांतिकारी बदलाव किए।
तकनीकी और बुनियादी ढांचे में योगदान
स्वर्णिम चतुर्भुज योजना और ग्रामीण संपर्क
- स्वर्णिम चतुर्भुज योजना: वाजपेयी जी के कार्यकाल में महानगरों को जोड़ने वाली यह परियोजना आज भी उनकी दूरदृष्टि का प्रतीक है।
- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना: ग्रामीण क्षेत्रों को शहरों से जोड़ने के लिए इस योजना ने स्थानीय कनेक्टिविटी में सुधार किया।
दिल्ली मेट्रो: एक विश्व स्तरीय परियोजना
- वाजपेयी जी के प्रयासों से दिल्ली मेट्रो की शुरुआत हुई, जो आज भारत में विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे का हिस्सा है।
साहसिक निर्णय और परमाणु परीक्षण
पोकरण का परमाणु परीक्षण
- 11 और 13 मई 1998 को हुए परमाणु परीक्षण ने भारत को वैश्विक मंच पर नई पहचान दी।
- परीक्षण के बाद अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद, वाजपेयी सरकार ने भारत के हितों को सर्वोपरि रखा।
कारगिल युद्ध और संसद पर हमला
- वाजपेयी जी के कार्यकाल में कारगिल युद्ध और संसद पर हुए आतंकवादी हमले जैसी चुनौतियां आईं।
- हर परिस्थिति में उन्होंने राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखा।
गठबंधन की राजनीति को नई परिभाषा
एनडीए की स्थापना
- वाजपेयी जी ने एनडीए के गठन के साथ गठबंधन की राजनीति को नया आयाम दिया।
- उनका प्रसिद्ध कथन, “सरकारें आएंगी, जाएंगी, पार्टियां बनेंगी, बिगड़ेंगी, मगर यह देश रहना चाहिए,” आज भी हर भारतीय के दिल में गूंजता है।
सत्ता से ऊपर विचारधारा
- 1996 में जोड़-तोड़ की राजनीति न चुनते हुए, उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया।
- उन्होंने हमेशा सत्ता से ज्यादा विचारधारा को महत्व दिया।
भारत को वैश्विक मंच पर मजबूत किया
संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण
- विदेश मंत्री रहते हुए वाजपेयी जी ने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देकर भारत की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया।
भाजपा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया
- वाजपेयी जी ने भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी और इसे कांग्रेस के विकल्प के रूप में स्थापित किया।
अटल जी के सिद्धांत: सुशासन और एकता का प्रतीक
दल से बड़ा देश
- वाजपेयी जी ने हमेशा दल और संगठन से ऊपर देश और संविधान को रखा।
- उनके विचार और सिद्धांत आज भी भारत को नव प्रगति और समृद्धि के पथ पर ले जाने की प्रेरणा देते हैं।
सुशासन का संकल्प
- प्रधानमंत्री मोदी ने अपने लेख में वाजपेयी जी के सुशासन के सिद्धांतों पर चलने का आह्वान किया।
निष्कर्ष
अटल बिहारी वाजपेयी जी की 100वीं जयंती उनके जीवन, विचारधारा और उनके द्वारा किए गए अद्वितीय योगदानों को याद करने का अवसर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके जीवन को राष्ट्र निर्माण का प्रतीक बताते हुए कहा,
“आइए, हम सभी उनके सपनों को साकार करने के लिए काम करें और एक ऐसे भारत का निर्माण करें जो सुशासन, एकता और प्रगति का प्रतीक हो।”
अटल जी के सिद्धांत और उनकी दूरदर्शिता आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेंगी।
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