लेटेस्ट हिमाचल प्रदेश न्यूज़ हेडलाइंस

308 करोड़ में नीलाम हो रही इंडियन टेक्नॉमैक को नहीं मिला कोई धन्ना सेठ

PRIYANKA THAKUR | 29 दिसंबर 2021 at 4:47 pm

Share On WhatsApp Share On Facebook Share On Twitter

अब तीसरी बार एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट से बेची जाएगी फैक्ट्री

HNN / पांवटा साहिब

सरकार और बैंकों को 6000 करोड़ का चूना लगाने वाली पांवटा साहिब की इंडियन टेक्नॉमैक फैक्ट्री की दूसरी बार हुई नीलामी प्रक्रिया फेल हो गई है। मंगलवार को शाम 4:00 बजे तक नीलामी स्थल पर एक भी व्यक्ति नहीं पहुंचा। हालांकि कुछ स्थानीय लोग कबाड़ बन चुकी फैक्ट्री की नीलामी में पहुंचे थे। मगर इनका इंटरेस्ट फैक्ट्री की जगह नीलामी में शामिल गाड़ियों की खरीदारी में था। 2015 के बाद खड़े दर्जनों वाहन अब कंडम स्थिति में हो चुके हैं। जिसके चलते इन वाहनों के आरक्षित मूल्य पर भी कोई बोली दाता बोली नहीं दे पाया।

हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें: Join WhatsApp Group


अब होगा तीसरा अटेम्प्ट
हिमाचल प्रदेश राज्य कर एवं आबकारी विभाग के द्वारा अब एक्सप्रेशन आफ इंटरेस्ट का फार्मूला अपनाकर घाटा वसूला जाएगा। जिसके तहत इच्छुक व्यक्ति खुद अपने स्तर पर इस फैक्ट्री की वैल्यूएशन कराएगा। वैल्यूएशन कराने के बाद वह अपनी विड देगा। जिसकी विड ज्यादा होगी इंडियन टेक्नोमैक उसकी हो जाएगी। सूत्रों की माने तो फैक्ट्री को खरीदने के इच्छुक तो कई हैं मगर बेचने के लिए इसकी रिजर्व प्राइस 306 करोड़ से भी ज्यादा रखी हुई है।

वही जो 265 बीघा जमीन है उसका रेट 2019-20 में कमर्शियल तौर पर 3000 रुपए से अधिक प्रति मीटर था। मगर अब जमीन का रेट मार्केट वैल्यू के हिसाब से 600 रुपए मीटर ही रह गया है। तो वही फैक्ट्री के बंद रहने के कारण अधिकतर मशीनरी कंडम हो चुकी है। ऐसे में कोई भी व्यक्ति इस फैक्ट्री की खरीददारी में रुचि नहीं दिखा पा रहा है। यहां यह भी बताना जरूरी है कि कबाड़ में बेचे जाने वाला लोहा 25 से 30 रुपए प्रति किलो के हिसाब से ही बिक पाता है।

बरहाल देखना यह होगा कि अब तीसरी बार एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट फार्मूले के तहत कबाड़ हो चुकी फैक्ट्री को लेगा कौन। जबकि इस फैक्ट्री के कारण 25 सौ से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ था और बैंकों के साथ धोखाधड़ी कर जितने अधिक माल को द रियल की आवाजाही में दिखाया जाता था उतना ईमानदारी के साथ फैक्ट्री सरकार को टैक्स भी दे रही थी। सवाल तो यहां यह भी उठता है कि प्रदेश सरकार ने फैक्ट्री प्रबंधन के साथ नेगोशिएशन किस स्तर पर किया था अथवा किया भी था या नहीं।

वही प्रदेश सरकार ने इन्वेस्टर्स को आकर्षित करने में प्रचार प्रसार तो बहुत कर रही है। ऐसे में यदि इस बंद पड़े उपक्रम को भेल इंडिया के माध्यम से यदि चला पाया जाता है तो ना केवल स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा बल्कि प्रदेश की जीडीपी में भी इजाफा होगा। एक बात तो तय है कि कबाड़ में तब्दील हो चुकी इस फैक्ट्री को किसी भी फार्मूले के तहत खरीदा या बेचा जाना संभव नहीं है।

उधर ज्वाइंट कमिश्नर एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग जीडी ठाकुर का कहना है कि अब तीसरी बार एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट के माध्यम से विड ली जाएंगी। जिसकी विड ज्यादा होगी फैक्ट्री उसके नाम हो जाएगी।

हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें

ताज़ा खबरों और अपडेट्स के लिए अभी हमारे WhatsApp ग्रुप का हिस्सा बनें!

Join WhatsApp Group

आपकी राय, हमारी शक्ति!
इस खबर पर आपकी प्रतिक्रिया साझा करें


[web_stories title="false" view="grid", circle_size="20", number_of_stories= "7"]