हिमाचल प्रदेश विद्यालय प्रवक्ता संघ ने शिक्षा विभाग के उन निर्देशों का कड़ा विरोध किया है, जिनमें प्रवक्ताओं को छठी से 12वीं तक की कक्षाओं को पढ़ाने के आदेश दिए गए हैं। संघ का कहना है कि कुछ विद्यालय प्रमुख इन आदेशों को अनिवार्य बनाकर लागू कर रहे हैं, जिससे शैक्षणिक माहौल पर विपरीत असर पड़ रहा है और शिक्षकों के कार्य विभाजन की शिक्षा संहिता के नियमों की अनदेखी हो रही है।
नाहन
संघ ने जताई गहरी आपत्ति
प्रवक्ता संघ के राज्य चेयरमैन सुरेंद्र पुंडीर, जिला अध्यक्ष डॉ. आईडी राही और अन्य पदाधिकारियों ने संयुक्त बयान में कहा कि प्रवक्ता वर्ग हमेशा से आवश्यकता अनुसार सभी कक्षाओं को पढ़ाने का कार्य करता रहा है। लेकिन इसे अनिवार्य बनाने का अर्थ होगा टीजीटी और सीएंडवी शिक्षकों के पदों को समाप्त करना।
हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें: Join WhatsApp Group
शिक्षा विभाग से की कड़ी कार्रवाई की मांग
संघ ने मांग की कि ऐसे तुगलकी आदेश लागू करने वाले विद्यालय प्रमुखों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि जब तक शिक्षा विभाग यह स्पष्ट नहीं करता कि कौन सा विषय कौन पढ़ाएगा, तब तक ऐसे आदेश व्यवहारिक नहीं हैं।
शिक्षक पदों को लेकर उठे सवाल
संघ का कहना है कि यदि प्रवक्ताओं को छठी से 12वीं तक पढ़ाने के लिए बाध्य किया जाता है तो इसका मतलब होगा कि सरकार प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (TGT) और C&V शिक्षकों के पद समाप्त करने की तैयारी कर रही है। संघ ने चेतावनी दी कि इससे विद्यालयों में गतिरोध पैदा होगा। साथ ही मांग की कि यदि सभी कक्षाओं को प्रवक्ता ही पढ़ाएंगे, तो मुख्याध्यापक पद पर पदोन्नति के लिए भी प्रवक्ताओं को ही पात्र माना जाए।
📢 लेटेस्ट न्यूज़
हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें
ताज़ा खबरों और अपडेट्स के लिए अभी हमारे WhatsApp ग्रुप का हिस्सा बनें!
Join WhatsApp Group





