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हिमाचल पुलिस में शबड़ा फेरबदल: DGP और SP शिमला हटाए गए, ACS पर भी गिरी गाज

Shailesh Saini | 28 मई 2025 at 7:31 am

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हिमाचल नाऊ न्यूज़ शिमला

शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार ने मंगलवार को एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए पुलिस महकमे में बड़ा फेरबदल किया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के सख्त रुख के बाद पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अतुल वर्मा और पुलिस अधीक्षक (एसपी) शिमला संजीव गांधी को तत्काल प्रभाव से उनके पदों से हटा दिया गया है।

यह कार्रवाई कथित अनुशासनहीनता और सरकार की किरकिरी करवाने के आरोपों के चलते की गई है।सरकार ने आईपीएस अधिकारी अशोक तिवारी को हिमाचल प्रदेश के नए डीजीपी का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा है, जबकि आईपीएस गोलन गौरव सिंह अब शिमला के एसपी का अतिरिक्त जिम्मा संभालेंगे।

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इस कार्रवाई की गाज अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) ओंकार शर्मा पर भी गिरी है। सरकार ने उनसे सभी विभागों का प्रभार वापस ले लिया है और उन्हें ‘विदाउट वर्क’ कर दिया है। उनके अधीन आने वाले विभागों को अब अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को आवंटित कर दिया गया है।

जारी आदेशों के अनुसार, राजस्व, गृह विभाग और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कार्यभार एसीएस कमलेश पंत को, जबकि जल शक्ति विभाग का दायित्व संदीप कदम को सौंपा गया है।सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पुलिस विभाग के शीर्ष अधिकारियों के हालिया आचरण से बेहद नाराज थे।

बताया जा रहा है कि डीजीपी अतुल वर्मा द्वारा कथित तौर पर बिना वेटिंग के हाई कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल करने और एसपी शिमला संजीव गांधी द्वारा हाई कोर्ट के आदेशों के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने को अनुशासनहीनता माना गया है।

खासकर एसपी संजीव गांधी के प्रेस कॉन्फ्रेंस में कथित तौर पर पुलिस महानिदेशक और मुख्य सचिव समेत राज्य सरकार को धमकी देने के लहजे को कंडक्ट रूल का स्पष्ट उल्लंघन माना गया है।

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंगलवार शाम को सचिवालय में हुई एक उच्च स्तरीय मैराथन बैठक में यह बड़ा फैसला लिया गया। दिल्ली से लौटने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री ने इस मामले पर नाराजगी जताई थी और मुख्य सचिव सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को तलब किया था।

करीब दो घंटे तक चली इस बैठक में अधिकारियों के आचरण पर गहन चर्चा हुई, जिसके बाद यह कठोर कदम उठाया गया।अतुल वर्मा, जो इसी महीने 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले थे, को सेवानिवृत्ति से ठीक पहले पद से हटाया जाना महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

इसके चलते उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले वित्तीय लाभों से वंचित होना पड़ सकता है। वहीं, एसपी संजीव गांधी के खिलाफ भी निलंबन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और दोनों ही अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं।

सरकार के इस कड़े फैसले को प्रशासनिक हलकों में अनुशासन और नियमों के उल्लंघन के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति के को साफ दर्शाता है।

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