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हाब्बी मानसिंह कला केंद्र में लोकनाट्य का सफल मंचन /आसरा संस्था के कलाकारों ने जीवंत किया पारंपरिक लोकनाट्य

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Himachalnow / रराजगढ़

राजगढ़, 09 मार्च – संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के सौजन्य से गुरु-शिष्य परंपरा के अंतर्गत हाब्बी मानसिंह कला केंद्र, जालग में शाहूकारो रा स्वांग नाटक का भव्य मंचन किया गया। इस लोकनाट्य का आयोजन आसरा संस्था द्वारा किया गया, जिसमें लोक कलाकारों ने अपनी शानदार प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

पारंपरिक लोकवाद्य यंत्रों के साथ हुआ आगाज
कार्यक्रम का शुभारंभ पद्मश्री विद्यानंद सरैक ने किया। प्रारंभ में लोकवाद्य यंत्रों के मधुर सुरों से कार्यक्रम की शुरुआत हुई, जिसके बाद कलाकारों ने नौगत की प्रस्तुति दी। मंच पर ग्रामीण परिवेश को जीवंत करने के लिए विशेष सेट तैयार किया गया था, जिससे दर्शकों को एक वास्तविक लोकनाट्य का अनुभव मिला।

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समाज की कुरीतियों पर किया गया कटाक्ष
गुरु पद्मश्री विद्यानंद सरैक और डॉ. जोगेंद्र हाब्बी के निर्देशन में प्रस्तुत इस नाटक ने समाज में व्याप्त जमाखोरी, मुनाफाखोरी, भ्रष्टाचार, खाद्य वस्तुओं में मिलावट, चोरी और हत्या जैसी बुराइयों पर करारा प्रहार किया। नाटक में दिखाया गया कि कैसे एक धनी व्यापारी अपने मुनीम से खाद्य वस्तुओं में मिलावट करवाकर अधिक मुनाफा कमाता है। लेकिन लालच में अंधे मुनीम और व्यापारी की पत्नी उसकी संपत्ति हड़पने की योजना बनाते हैं और उसकी हत्या कर देते हैं। अंततः पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेती है और उन्हें उनके कृत्य की सजा मिलती है।

बेहतर कानून व्यवस्था और न्याय प्रणाली पर प्रकाश
इस नाटक ने न्याय प्रणाली और कानून व्यवस्था की मजबूती को भी दर्शाया। कलाकारों ने बेहतरीन अभिनय के माध्यम से न केवल मनोरंजन किया बल्कि समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश भी दिया कि अन्याय और अपराध का अंत निश्चित है।

विलुप्त हो रहे लोकनाट्यों के संरक्षण का प्रयास
आसरा संस्था पिछले कई वर्षों से गुरु-शिष्य परंपरा के अंतर्गत लोकनाट्यों को संरक्षित और परिष्कृत कर रही है। संस्था का उद्देश्य लोक संस्कृति को पुनर्जीवित करना और इन पारंपरिक नाटकों को नए स्वरूप में दर्शकों तक पहुंचाना है।

25 कलाकारों ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिकाएं
लोकनाट्य में रामलाल, गोपाल, संदीप, चमन, सरोज, अनु, दिनेश, अनिल, आरती, हेमलता, जोगेंद्र, सुनील, अमीचंद, ओम प्रकाश, कृष्ण और अमन सहित कुल 25 कलाकारों ने अपने अभिनय से लोकनाट्य को जीवंत बना दिया।

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