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नाहन चौगान में गूंजी गुरबाणी की अलौकिक बाणी, 350वें शहीदी वर्ष पर सजा भव्य दरबार, विधायक अजय सोलंकी ने किया नमन

Shailesh Saini | 23 नवंबर 2025 at 9:26 pm

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दरबार साहिब (अमृतसर), खरड़ और सिरथले वाले संत बाबा प्यारा सिंह सहित देश के कोने-कोने से पहुंचे पंथक जत्थों ने गुरबाणी की मधुर वर्षा की; हजारों श्रद्धालुओं ने पाया गुरु का आशीर्वाद।

नाहन:

​नाहन का ऐतिहासिक चौगान मैदान, 23 नवंबर, 2025 (रविवार) को धर्म और मानवता के इतिहास की एक महान घटना का साक्षी बना।

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‘हिन्द की चादर’ श्री गुरु तेग बहादुर जी और उनके महान अनुयायियों – भाई मति दास, भाई सती दास और भाई दयाला जी के 350वें शहीदी वर्ष को समर्पित एक विशाल ‘गुरमत समागम’ का भव्य आयोजन हुआ।


​ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री दशमेश अस्थान नाहन, सुखमनी सोसाइटी और सेवा दल नाहन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में न केवल सिख समुदाय, बल्कि शहर व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से भी हजारों श्रद्धालुओं ने उपस्थिति दर्ज कराई, जिससे यह समागम सर्वधर्म सद्भाव का केंद्र बन गया।

विधायक अजय सोलंकी ने किया शहीदों को नमन

​कार्यक्रम के आगाज के दौरान स्थानीय विधायक अजय सोलंकी विशेष रूप से उपस्थित हुए। उन्होंने अपने संबोधन में इस शहादत को धर्म की रक्षा के लिए दुनिया की सबसे बड़ी और अद्वितीय शहादत बताते हुए महान बलिदानियों को भावपूर्ण नमन किया।


​विधायक सोलंकी ने कहा, “यह सिर्फ एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं है, यह हमें उस महान बलिदान की याद दिलाता है जिसने देश में धार्मिक स्वतंत्रता की नींव रखी। नाहन के सिख युवा और सिख समुदाय जिस प्रकार समाज के हर क्षेत्र— चाहे वह सामाजिक सेवा हो या अन्य सरोकार— में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं,

वह अत्यंत सराहनीय है। उनके द्वारा इस महान शहीदी को लेकर आयोजित यह समागम युवा पीढ़ी को त्याग और निस्वार्थ सेवा का संदेश देता है।” उन्होंने आयोजन कमेटी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम हमें अपनी जड़ों और मूल्यों से जोड़ते हैं।


देश भर के रागी जत्थों ने किया निहाल

गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष अमृत सिंह शाह ने बताया कि यह समागम सुबह 9:30 बजे आरंभ होकर देर रात्रि तक अनवरत चला, जिसमें पूरा शहर गुरबाणी के रस में सराबोर रहा।


​समागम में देश के कोने-कोने से महान पंथक हस्तियां नाहन पहुँचीं। मुख्य रूप से दरबार साहिब (अमृतसर) के हजूरी रागी भाई जगतार सिंह खालसा ने अपनी मधुर और रूहानी आवाज़ में गुरबाणी की खूबसूरत रचनाएँ प्रस्तुत कीं।

खरड़ से भाई कुलविंदर सिंह, माणकपुर शरीफ से ढाडी जथा भाई गरजा सिंह और सिरथले वाले संत बाबा प्यारा सिंह ने गुरु इतिहास और शहीदी गाथा का वर्णन कर संगत को निहाल किया।

इनके अलावा, देहरादून से गुरसिख मरजी वड़े कीर्तन जत्था, चंडीगढ़ से भाई हरप्रीत सिंह, बड़ू साहिब का अनहद वाणी जत्था और नाहन गुरुद्वारा साहिब के हजूरी रागी भाई गुरमीत सिंह ने भी अपनी हाजिरी भरकर माहौल को भक्तिमय बना दिया।

अटूट लंगर की रही विशेष व्यवस्था

​इस विशाल आयोजन के दौरान संगत के लिए गुरु के अटूट लंगर की विशेष व्यवस्था की गई थी। हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं ने पंक्तिबद्ध होकर लंगर का प्रसाद ग्रहण किया।

यही नहीं गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी के द्वारा स्वास्थ्य शिविर का भी आयोजन किया गया था।

आयोजन समिति के सेवादारों ने समूचे नाहन और सिरमौर निवासियों का आभार व्यक्त किया कि उन्होंने जाति-धर्म से ऊपर उठकर इस ऐतिहासिक समागम का हिस्सा बनकर गुरु का आशीर्वाद प्राप्त किया।

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