कोरोना काल में शुरू किया घरेलू खाद्य उत्पादों का काम, आज बनी हैं गांव की प्रेरणास्त्रोत महिला
मंडी
स्वयं सहायता समूह से जुड़कर सीरा-बड़ियां, अचार व अन्य उत्पादों से कर रहीं आमदनी, महिलाओं को भी दे रहीं प्रशिक्षण
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कोरोना काल में बदली परिस्थितियों को बनाया अवसर
बल्ह घाटी के चंडयाल गांव की सावणी देवी ने विपरीत हालातों में हार नहीं मानी। कोरोना काल में जब घर की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई, तब उन्होंने सिलाई का काम और मास्क बनाकर अपनी रोज़ी-रोटी का इंतजाम किया। इसके बाद उन्होंने दुर्गा स्वयं सहायता समूह के माध्यम से घरेलू खाद्य उत्पाद बनाना शुरू किया।
सरकारी योजनाओं से मिला सहयोग
सावणी देवी को राज्य सरकार की सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण योजना (PMFME) के तहत 57 हजार और अन्य योजनाओं से 50 हजार रुपए की सहायता प्राप्त हुई। उन्होंने गेहूं पीसने की मशीन ली और अब सीरा बनाने का काम करती हैं। प्रति माह 60 किलोग्राम तक सीरा बनाकर 15 से 20 हजार रुपए की आय अर्जित कर रही हैं।
सरस मेले और हिम इरा बना उत्पादों का बाजार
सरस मेले और हिम इरा जैसे सरकारी मंचों पर उन्हें अपने उत्पाद बेचने के अच्छे अवसर मिल रहे हैं। मंडी के सेरी मंच में सप्ताहांत पर उत्पादों की बिक्री हो रही है। सुंदरनगर में महिला दिवस पर लगे स्टॉल से भी उन्हें 12 हजार रुपए की आय हुई। त्योहारों पर विशेष उत्पाद तैयार कर वे अपनी आमदनी बढ़ा रही हैं।
अब बनीं मास्टर ट्रेनर और प्रेरणास्त्रोत
कृषि विज्ञान केंद्र से प्रशिक्षण लेकर सावणी देवी अब मास्टर ट्रेनर बन चुकी हैं और सीरा-बड़ियां, अचार जैसे उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण भी देती हैं। आशीष ग्राम समूह की प्रधान के रूप में भी वह कार्य कर रही हैं और अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं। उनके साथ निर्मला, आकृति, पायल, खिमी देवी, अनिता जैसी कई महिलाएं भी समूह से जुड़कर अतिरिक्त आय अर्जित कर रही हैं।
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