हरियाणा में हुए 10 नगर निगमों के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 9 निगमों में जीत दर्ज की है। वहीं, मानेसर में निर्दलीय उम्मीदवार डॉ. इंद्रजीत यादव ने भाजपा प्रत्याशी सुंदर लाल को हराकर जीत हासिल की। यादव ने खुद को केंद्रीय राज्यमंत्री और गुरुग्राम से भाजपा सांसद राव इंद्रजीत का करीबी बताकर प्रचार किया था।
भाजपा ने रोहतक, हिसार, करनाल, अंबाला, सोनीपत, फरीदाबाद, पानीपत, बवानीखेड़ा और खरखौदा नगर निगमों में मेयर पद पर जीत हासिल की है। कांग्रेस सभी निगमों में पिछड़ गई।
प्रमुख चुनाव परिणाम और घटनाक्रम
- रोहतक: भाजपा के रामअवतार वाल्मीकि ने कांग्रेस के सूरजमल किलोई को 45,191 वोटों से हराया। वाल्मीकि ने कहा कि भाजपा की नीतियों पर जनता का भरोसा उनकी जीत का मुख्य कारण है।
- मानेसर: निर्दलीय उम्मीदवार डॉ. इंद्रजीत यादव ने भाजपा प्रत्याशी सुंदर लाल को हराकर जीत दर्ज की।
- पानीपत: भाजपा की कोमल सैनी ने 123,170 वोटों से बड़ी जीत दर्ज की।
- सोनीपत: भाजपा के राजीव जैन ने कांग्रेस के कमल दीवान को 34,766 वोटों के अंतर से हराया।
- करनाल: भाजपा प्रत्याशी यश गोयल ने मतदान प्रक्रिया में गड़बड़ी का आरोप लगाया।
- हिसार: भाजपा के प्रवीण पोपली ने 96,329 वोटों से जीत दर्ज की।
- खरखौदा: भाजपा के हीरा लाल इंदौरा ने निर्दलीय मैक्सिन ठेकेदार को हराकर जीत हासिल की।
- बवानीखेड़ा: भाजपा प्रत्याशी सुंदर अत्री ने 1,385 वोटों से जीत दर्ज की।
- जुलाना: भाजपा के डॉ. संजय जांगड़ा ने निर्दलीय उम्मीदवार जोगेंद्र लाठर को 671 वोटों से हराया।
- रादौर: भाजपा के रजनीश मेहता ने 1,904 वोटों से जीत दर्ज की।
भाजपा की रणनीति और कांग्रेस की स्थिति
भाजपा ने इन चुनावों में पूरी ताकत झोंक दी थी। मुख्यमंत्री नायब सैनी, प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली, मंत्री अरविंद शर्मा समेत कई बड़े नेताओं ने चुनाव प्रचार में भाग लिया। वहीं, कांग्रेस में प्रचार को लेकर सुस्ती देखी गई। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा प्रचार के लिए नहीं आए, जबकि सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने ही मोर्चा संभाला।
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भाजपा नेताओं के बयान
भाजपा प्रत्याशियों ने जनता का आभार व्यक्त करते हुए इसे “ट्रिपल इंजन सरकार” (केंद्र, राज्य और नगर निगम) की जीत बताया और विकास कार्यों को प्राथमिकता देने की बात कही।
हरियाणा नगर निगम चुनावों में भाजपा का प्रदर्शन जोरदार रहा। यह नतीजे पार्टी की मजबूत रणनीति और संगठनात्मक ताकत का संकेत हैं। हालांकि, मानेसर में निर्दलीय उम्मीदवार की जीत ने भाजपा के लिए सोचने का मौका भी दिया है।
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