सिरमौर (हिमाचल प्रदेश): सिरमौर जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत संचालित 500 स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने 10 क्विंटल हर्बल रंग तैयार किए हैं। ये रंग फूल, चुकंदर, आरारोट और फ्रूट कलर से बनाए गए हैं, जो पूरी तरह से केमिकल-रहित हैं।
प्राकृतिक रंगों से सुरक्षित होली
स्वयं सहायता समूह से जुड़ी संगीता ने बताया कि,
“महिलाओं ने हरा, पीला, लाल, नारंगी और गुलाबी रंग तैयार किए हैं। ये रंग त्वचा के लिए पूरी तरह से सुरक्षित हैं और इनका कोई साइड इफेक्ट नहीं है। इन्हें खाने में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।”
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रंगों की बिक्री के लिए महिलाओं ने नाहन में स्टॉल भी लगाया है, जहां लोगों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है।
अच्छी आमदनी का जरिया
ग्रामीण विकास अभिकरण के जिला कार्यक्रम प्रबंधक वीरेंद्र ठाकुर ने बताया कि,
“महिलाओं द्वारा तैयार किए गए 10 क्विंटल से अधिक हर्बल रंगों में से तीन क्विंटल से अधिक की बिक्री हो चुकी है। महिलाएं प्रति किलो 300 रुपये की दर से रंग बेच रही हैं।”
इसके अलावा, हिमरा शॉप्स और ककली शॉप्स के माध्यम से भी इन रंगों की बिक्री की जा रही है।
महिलाओं को मिला रोजगार
यह पहल न केवल स्वस्थ और प्राकृतिक होली का संदेश देती है, बल्कि महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त भी बना रही है। वीरेंद्र ठाकुर ने कहा कि,
“इन हर्बल रंगों की बिक्री से महिलाओं को अच्छी आमदनी हो रही है, जिससे उनके रोजगार के अवसर भी बढ़ रहे हैं।”
यह प्रयास सिरमौर की महिलाओं के आर्थिक विकास में एक बड़ा कदम है और स्वस्थ होली के संदेश को भी बढ़ावा देता है।
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