ऊना/वीरेंद्र बन्याल
आर्थिक तंगी के बावजूद साहिल ने नहीं छोड़ा सपना, श्रमिक कल्याण बोर्ड की मदद से हिमाचल केंद्रीय विश्वविद्यालय में कर रहे हैं पीएचडी
खेतों से क्लासरूम तक का सफर, जब सरकार बनी सहारा
ऊना जिला के उपमंडल अंब के गांव ज्वार निवासी साहिल ने रसायन विज्ञान में पीएचडी करने का सपना देखा, लेकिन परिवार की आर्थिक हालत कमजोर होने के कारण यह राह बेहद कठिन थी। उनके पिता सुरिंदर सिंह वर्षों से दिहाड़ी मजदूरी कर परिवार का पालन कर रहे हैं। इसी बीच हिमाचल भवन एवं अन्य सन्निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड ने साहिल की शिक्षा में मदद की और एमएससी के लिए 21 हजार रुपये तथा पीएचडी के लिए 1.20 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी।
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सरकार की नीतियों से मिल रहा है भरोसा और आत्मबल
साहिल का कहना है कि यदि सरकार का सहयोग न होता, तो यह सपना अधूरा ही रह जाता। उन्होंने मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू और श्रमिक कल्याण बोर्ड का आभार जताते हुए कहा कि इस सहयोग ने उन्हें न केवल पढ़ने का हक दिया, बल्कि आत्मविश्वास भी लौटाया।
राज्य सरकार की योजनाओं में दिख रही है संवेदनशीलता
श्रमिक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष नरदेव सिंह कंवर ने कहा कि आज प्रदेश सरकार की योजनाएं महज आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि बदलाव की नीतियां बन रही हैं। मुख्यमंत्री की दूरदर्शिता के चलते श्रमिक, किसान और असंगठित वर्ग का व्यक्ति खुद को सरकार से जुड़ा हुआ महसूस कर रहा है।
कल्याण योजनाएं बन रही हैं गरिमापूर्ण जीवन की नींव
बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजीव कुमार ने बताया कि प्रदेश सरकार श्रमिक वर्ग को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। शिक्षा, चिकित्सा, विवाह, मातृत्व-पितृत्व, दुर्घटना, आवास और पेंशन से लेकर मानसिक रूप से मंद बच्चों की देखभाल तक के लिए योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इन योजनाओं के तहत छात्रवृत्ति, प्रसूति लाभ, पेंशन, अंतिम संस्कार सहायता, बेटी जन्म उपहार, होस्टल सुविधा और आवास सहायता जैसी कई सुविधाएं दी जा रही हैं।
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