HNN/संगड़ाह
राजकीय महाविद्यालय संगड़ाह के भूगोल विभाग को भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (इसरो) द्वारा सुदूर संवेदन और भौगोलिक सूचना प्रणाली के प्रशिक्षण और कार्यशालाओं के दूरस्थ शिक्षा प्रणाली का केंद्र बनाया गया है। इसरो ने इस दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के लिए भूगोल विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. जगदीश चंद को समन्वयक बनाया है और प्रो. संदीप कुमार इतिहास विभाग के सहायक आचार्य को सहायक समन्वयक बनाया गया है।
डॉ. जगदीश चंद ने बताया कि भारतीय रिमोट सेंसिंग संस्थान (आईआईआरएस) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के तहत एक प्रमुख संस्थान है जो रिमोट सेंसिंग और भू-सूचना विज्ञान अनुप्रयोगों में विशेषज्ञता रखता है। संस्थान रिमोट सेंसिंग, भू-सूचना विज्ञान और संबंधित प्रौद्योगिकियों से संबंधित ज्ञान और कौशल का प्रसार करने के उद्देश्य से विभिन्न आउटरीच कार्यक्रम आयोजित करता है।
आईआईआरएस आउटरीच कार्यक्रम सुदूर संवेदन, भू-सूचना विज्ञान और संबंधित क्षेत्रों में प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम पेश करके राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 (एनईपी) के लक्ष्यों के अनुरूप है। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, आपदा प्रबंधन, शहरी नियोजन, कृषि और पर्यावरण निगरानी जैसे विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए सुदूर संवेदन आंकड़े और भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने में महाविद्यालय के छात्रों, अध्यापकों, शोधकर्ताओं और पेशेवरों के कौशल को बढ़ाना है।
व्यावहारिक प्रशिक्षण, कार्यशालाएं, ऑनलाइन पाठ्यक्रम और सहयोगी परियोजनाएं प्रदान करके आईआईआरएस अनुभवात्मक शिक्षा, अंतःविषय दृष्टिकोण और शिक्षा में प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देकर एनईपी 2020 के उद्देश्यों में योगदान देता है। ये पहल रिमोट सेंसिंग, भू-सूचना विज्ञान में ज्ञान और विशेषज्ञता से लैस कुशल कार्यबल को विकसित करने में मदद करती है, जिससे सतत् विकास और सामाजिक लाभ के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने में भारत के प्रयासों का समर्थन किया जाता है।
इसी दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के तहत महाविद्यालय में 136-आईआईआरएस दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम “भूवैज्ञानिक अनुप्रयोगों के लिए रिमोट सेंसिंग तकनीकों में प्रगति” का 11 मार्च 2024 को आयोजन किया गया जो 15 मार्च 2024 तक चलेगा। इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के 81 छात्र व शिक्षक भाग ले रहे। कार्यवाहक प्राचार्य डॉ. देवराज शर्मा ने बताया कि राजकीय महाविद्यालय संगड़ाह को दूरस्थ शिक्षा प्रणाली का केंद्र बनाना बेहद खुशी की बात है।
इस कार्यक्रम से उनके महाविद्यालय के छात्र और शिक्षकों को उनकी शैक्षणिक कौशल में सीधा लाभ मिलेगा। सितंबर 2024 में राजकीय महाविद्यालय संगड़ाह की नैक एक्रेडिटेशन होने जा रही है। इसमें इस कार्यक्रम से सीधा फायदा होगा। इस तरह के उत्कृष्ट प्रशिक्षण और कार्यक्रमों के माध्यम से महाविद्यालय के छात्र और शिक्षकों को उनके शैक्षणिक और पेशेवर विकास में मदद मिलेगी।