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साल 2024 के अंत में एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में महाराष्ट्र कैडर की ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर का विवाद सामने आया, जिसने न केवल उनका करियर बल्कि सरकारी भर्ती प्रक्रिया को भी प्रभावित किया। फर्जी मेडिकल और जाति प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी प्राप्त करने के मामले में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया, और इसके बाद सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया में अहम बदलाव किए गए।
आइए जानते हैं इस विवाद और इसके बाद हुए परिवर्तनों के बारे में विस्तार से।
पूजा खेडकर का विवाद: फर्जी सर्टिफिकेट और अवैध गतिविधियां
आईएएस के लिए चयन और विवाद का खुलासा
पूजा खेडकर, जिन्होंने 2022 में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास की थी, महाराष्ट्र कैडर में 2023 बैच की ट्रेनी आईएएस अधिकारी बनीं। हालांकि, उनकी नियुक्ति पर सवाल उठने लगे जब यह सामने आया कि उन्होंने फर्जी ओबीसी सर्टिफिकेट और दिव्यांग प्रमाणपत्र का इस्तेमाल किया था। आरटीआई कार्यकर्ता विजय कुंभार ने इस बारे में गंभीर आरोप लगाए थे।
लाल-नीली बत्तियां और अनधिकृत कब्जा
पूजा खेडकर का विवाद तब और बढ़ा जब उन्हें अपनी निजी कार पर लाल और नीली बत्ती का उपयोग करते हुए पाया गया। इसके अलावा, उन्होंने बिना अनुमति के पुणे में अतिरिक्त कलेक्टर अजय मोरे के चैंबर पर भी कब्जा कर लिया था और अधिकारियों की अनुमति के बिना कार्यालय का फर्नीचर हटाया था।
तबादला और बर्खास्तगी
इन घटनाओं के बाद, पुणे कलेक्टर सुहास दिवासे ने इस मामले की शिकायत महाराष्ट्र के मुख्य सचिव से की, जिसके परिणामस्वरूप पूजा खेडकर का तबादला किया गया। फिर, 31 जुलाई 2024 को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने पूजा खेडकर की उम्मीदवारी रद्द कर दी और उन्हें आयोग द्वारा आयोजित सभी भावी परीक्षाओं से ब्लैक लिस्ट कर दिया।
सरकारी भर्ती प्रक्रिया में हुआ अहम बदलाव
यूपीएससी ने आधार वेरिफिकेशन अनिवार्य किया
पूजा खेडकर के विवाद के बाद यूपीएससी ने अपनी भर्ती प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव किए। अब, सभी भर्ती प्रक्रियाओं में अभ्यर्थियों के आधार वेरिफिकेशन को अनिवार्य कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि बिना आधार वेरिफिकेशन के किसी भी अभ्यर्थी का आवेदन मान्य नहीं होगा। इससे पहले यूपीएससी की भर्तियों में आधार वेरिफिकेशन की आवश्यकता नहीं थी।
SSC और रेलवे भर्ती बोर्ड ने भी उठाया कदम
यूपीएससी के बाद, कर्मचारी चयन आयोग (SSC) और रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) ने भी अपनी भर्तियों में आधार वेरिफिकेशन को अनिवार्य कर दिया। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उम्मीदवार के सभी दस्तावेज और प्रमाणपत्र सही और वैध हों।
राज्य आयोगों में भी बदलाव
पूजा खेडकर के मामले का प्रभाव केवल केंद्रीय स्तर तक सीमित नहीं रहा, बल्कि कई राज्य आयोगों ने भी अपनी भर्ती प्रक्रियाओं में बदलाव किए। उन्होंने भी उम्मीदवारों के दस्तावेजों की जांच और सत्यापन को सख्त बनाने के लिए नए नियम लागू किए।
निष्कर्ष
पूजा खेडकर के विवाद ने न केवल उनकी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया बल्कि सरकारी भर्ती प्रक्रिया में भी महत्वपूर्ण बदलावों को जन्म दिया। अब, सरकारी नौकरी की प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और सत्यापन को प्राथमिकता दी जा रही है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि केवल योग्य और सही प्रमाणपत्र वाले उम्मीदवार ही सरकारी नौकरियों में शामिल हों।