HNN/ राजगढ़
वर्ष 2021 का साल पच्छाद निर्वाचन क्षेत्र के लिए कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण रहा और खटटी-मिट्ठी यादों के साथ अलविदा हो गया। कोरोना की दूसरी लहर से जहां जनजीवन ठप्प हो गया था वहीं पर पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस तथा खाद्य वस्तुओं के दामों में एकाएक बढ़ोतरी होने से लोगों की कमर टूट गई। दूसरी ओर देश व प्रदेश की सब्जी मंडियों में टमाटर, शिमला मिर्च, फ्रांसबीन, लहसुन का रेट कम रहा। जिससे किसानों की आर्थिकी स्थिति काफी डांवाडोल रही। यहां तक की किसानों को लागत भी नहीं मिल पाई।
वर्ष के दौरान विकास के रूटीन कार्य यथावत चलते रहे। मुख्यमंत्री व अन्य मंत्रियों द्वारा पच्छाद निर्वाचन क्षेत्र के लिए बीते वर्षों में की गई अनेक घोषणाएं कागजों में दफन होकर रह गई। बता दें कि वर्ष 2018 के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा राजगढ़ प्रवास के दौरान मिनी सचिवालय, एचआरटीसी का सब डिपो, राजगढ़ में पार्किंग व्यवस्था तथा 2019 में राजगढ़ में बीएमओ कार्यालय खोलने की घोषणा की गई थी। जिनमें से कोई घोषणा बीते तीन वर्षों में पूरी नहीं हो सकी।
राजगढ़ बस स्टैंड पर एचआरटीसी का सब डिपो का बोर्ड टांग दिया गया परंतु सब डिपो खुलने से न ही इस क्षेत्र में बस के नए रूट बढ़े और न ही यात्रियों को कोई सुविधाऐं मिली। लिहाजा चंदोल में जेएसवी का उप मंडल कार्यालय अवश्य क्रियाशील बना दिया गया परंतु नेरीपुल में जेई कार्यालय आजतक नहीं खुल पाया। मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद राजगढ़ शहर में पार्किंग की समस्या का आज तक हल नहीं हो पाया। पार्किंग के अभाव में बाहर से आने वाले वाहन धारकों को पुलिस के चालान का दंश झेलने को मजबूर होना पड़ता है।
इसी प्रकार वर्ष 2019 के दौरान बागवानी मंत्री द्वारा पझौता क्षेत्र के प्रवास के दौरान बागवानों के लिए एंटी हेलगन स्थापित करने की घोषणा की गई थी जोकि आजतक पूरी नहीं हो पाई। यदि विकास का उल्लेख किया जाए तो पच्छाद की सड़कों की सबसे दयनीय स्थिति है। राजगढ़ मुख्यालय को सोलन से जोड़ने वाली सड़क बीते करीब 60 वर्षों से डबल लेन भी नहीं हो पाई। राजगढ़ शहर में पानी की गंभीर समस्या बनी हुई है। वर्ष 2015 के दौरान राजगढ़ शहर के लिए पैरवी खड्ड से पानी लाने की योजना का पूर्व सीएम द्वारा शिलान्यास किया गया था परंतु 7 साल बीत जाने पर यह योजना भी अधूरी पड़ी है।
इसी प्रकार राजगढ़ शहर के लिए 18 करोड़ की सीवरेज योजना भी वर्षो से कागजों में दफन होकर रह गई है। राजगढ़ शहर के कचरा के प्रबंधन के लिए बीते चार वर्षों में डंपिग साईट नहीं बन पाई और राजगढ़ शहर की सफाई व्यवस्था एक पहेली बन कर रह गई। हालांकि सीएच राजगढ़ में चिकित्सा विशेषज्ञों के आठ पद अवश्य भरे गए। परंतु सबसे महत्वपूर्ण स्त्री रोग विशेषज्ञ पद आज तक नहीं भरा गया जिस कारण विशेषकर महिलाओं को उपचार के लिए सोलन निजी गायनी अस्पतालों में जाना पड़ता है।
लिहाजा वर्ष 2021 के दौरान हलोनीपुल-शलेच सड़क को 18 करोड़ से पक्का किया गया। इसी प्रकार यशवंतनगर-नेरीपुल-छैला सड़क को पक्का करने का कार्य प्रगति पर रहा जिसका श्रेय दोनों कांग्रेस व भाजपा ले रही है। धारटूखाड़ी सिंचाई योजना का निर्माण कार्य बीते 16 वर्षों से लटका पड़ा है। शीलाबाग में 33केवी का विद्युत सब-स्टेशन व पीएचसी हाब्बन के भवन का सीएम द्वारा बीते 3 सितंबर को सराहां प्रवास के दौरान उद्धघाटन किया गया था।
शीलाबाग सब स्टेशन उद्घाटन के बाद चालू तो कर दिया गया परंतु रासूमांदर व पझौता में बार-बार बिजली कट की समस्या का हल नहीं हो सका। हाब्बन में शहीद हितेश शर्मा की टूटी प्रतिभा बीते तीन वर्षों में नहीं बन पाई। सेरजगास मे पैराग्लाईडिंग और करगानू में कृत्रिम झील निर्मित करने का एक सपना बन कर रह गया। बीते तीन वर्षों में इन परियोजनाओं में एक इंट भी नहीं लग पाई। सीएम द्वारा राजगढ़ में जेएसवी का मंडल व सराहां में लोक निर्माण विभाग का कार्यालय खोलने की घोषणा आजतक पूरी नहीं हो पाई।
बीते वर्ष 2018 को खेल मंत्री द्वारा राजगढ़ स्टेडियम का निर्माण तथा पंचायतीराज मंत्री द्वारा राजगढ़ के नए बीडीओ कार्यालय भवन के लिए दो करोड़ की राशि देने की बात कही गई थी जोकि भाषण तक ही सीमित रह गई। दूध का एकत्रितकरण काफी कम होने से राजगढ़ व मरयोग का चिलिंग प्लांट बंद होने की कागार पर हैं। कुल मिलाकर पच्छाद के लिए वर्ष 2021 का वर्ष सामान्य रहा है।