भूलकर भी महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ को अर्पित न करें ये चीजें..
HNN / नाहन
महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस बार महाशिवरात्रि 01 मार्च यानि कल मंगलवार को मनाई जाएगी। इस पर्व को शिवभक्त श्रद्धाभाव और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। जो भक्त इस दिन पूरे विधि-विधान से भगवान शिव की उपासना और व्रत करते हैं, उन्हें मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि पर शिवजी के अभिषेक के साथ ही कुछ विशेष मंत्रों का जाप करने से शिवजी की कृपा प्राप्त होती है। महाशिवरात्रि के दिन चार पहर की शिव पूजा करनी चाहिए।
महाशिवरात्रि चार पहर पूजा का समय-
1: पहले पहर की पूजा- 1 मार्च, 2022 शाम 6:21 मिनट से रात्रि 9:27 मिनट तक
2: दूसरे पहर की पूजा- 1 मार्च रात्रि 9:27 मिनट से दोपहर 12:33 मिनट तक
3: तीसरे पहर की पूजा- 1 मार्च रात्रि 12:33 मिनट से सुबह 3:39 मिनट तक
4: चौथे प्रहर की पूजा- 2 मार्च सुबह 3:39 मिनट से 6:45 मिनट तक.
महाशिवरात्रि की पूजा विधि
शिवरात्रि को भगवान शंकर को पंचामृत से स्नान कराएं। केसर के 8 लोटे जल चढ़ाएं। पूरी रात्रि का दीपक जलाएं, चंदन का तिलक लगाएं, तीन बेलपत्र, भांग धतूर, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं। सबसे बाद में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर प्रसाद बांटें।
महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ को भूलकर भी अर्पित नहीं करें ये चीजें-
शंख–
शास्त्रों की मानें तो महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा में शंख भूलकर भी नहीं चढ़ाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान शिव ने शंखचूर नामक असुर का वध किया था। यही वजह है कि उनकी पूजा में इसे शामिल करने की मनाही होती है।
कुमकुम या रोली-
भगवान शिव को कुमकुम और रोली भूलकर भी न लगाएं। मान्यता है कि सिंदूर महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए लगाती हैं और भगवान शिव संहारक हैं। इसलिए भगवान शिव को सिंदूर की बजाए चंदन लगाना चाहिए।
तुलसी-
मान्यता है कि भोलेनाथ को तुलसी का पत्ता भी अर्पित नहीं करना चाहिए। पौराणिक कथा के अनुसार जलंधर की पत्नी वृंदा तुलसी का पौधा बन गई थी। भगवान शिव ने जलंधर का वध किया था। यही कारण है कि वृंदा ने शिव पूजा में तुलसी के पत्ते इस्तेमाल करने के लिए मना किया था।
नारियल पानी और हल्दी-
नारियल पानी से भगवान शिव का अभिषेक भूलकर भी न करें। भगवान शिव को भूलकर भी हल्दी अर्पित न करें। शास्त्रो के अनुसार, शिवलिंग पुरुष तत्व का प्रतीक है और हल्दी स्त्रियों से संबंधित है। इसलिए भगवान शिव को हल्दी चढ़ाने की मनाही होती है।