लेटेस्ट हिमाचल प्रदेश न्यूज़ हेडलाइंस

बुरांस के पेड़ों पर बहार से गुलजार हुए संगड़ाह के जंगल

PRIYANKA THAKUR | 12 मार्च 2022 at 2:36 pm

Share On WhatsApp Share On Facebook Share On Twitter

क्षेत्र के 30 एसएचजी की महिलाओं की आय का साधन बन चुके हैं बुरास उत्पादन

HNN / संगड़ाह

उपमंडल संगड़ाह के समुद्र तल से 5500 से 11500 फुट की ऊंचाई वाले हिमालय जंगल इन दिनों बुरांस अथवा रोडोडेंड्रॉन के पेड़ों पर आई बहार से आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। क्षेत्र के सदाबहार हिमालयी जंगलों में बुरांस बहुतायत हिस्से में पाया जाता है तथा जंगल दूर से देखने पर रेड रोज गार्डन जैसे प्रतीत होते हैं। संगड़ाह से गत्ताधार, नौहराधार, हरिपुरधार व राजगढ़ की ओर जाने वाली सड़कों पर सैकड़ों हेक्टेयर भूमि में फैले बुरांस के जंगलों में इन दिनों फिर से बाहर लौट आई है। इलाके में पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ व दिल्ली आदि से आने वाले सैलानियों के लिए यह जंगल आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।

हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें: Join WhatsApp Group

सैलानियों के अलावा कईं पर्यावरण प्रेमियों व स्थानीय लोगों को भी बुरांस के साथ सेल्फी अथवा फोटो शूट करते अथवा इन्हें पेड़ों से निकालते हुए देखा जा सकता है। हिमाचल के राज्य पुष्प बुरांस का वैज्ञानिक नाम रोडोडेंड्रॉन है जिसका शाब्दिक अर्थ पेड़ पर खिलने वाला गुलाब है। बुरांस न केवल देखने में आकर्षक है, बल्कि इसमें औषधीय गुणों के चलते कुछ लोगों के लिए यह आमदनी का जरिया भी बना हुआ है। विकास खंड संगड़ाह की 30 स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के लिए बुरांस के जंगल आमदनी का जरिया बन चुके हैं।

इन महिलाओं द्वारा रोडो जूस, जैम व स्क्वैश आदि प्रोडक्ट गत वर्ष से बाजार मे बेचे जा रहे है। पंचायत समिति संगड़ाह के अध्यक्ष मेलाराम शर्मा ने बताया कि, गत 15 से 19 मार्च 2020 तक इन महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया था तथा समिति द्वारा इन्हे 1 दुकान भी निशुल्क उपलब्ध करवाई गई है। जिला सिरमौर के राजगढ़ में मौजूद उद्यान विभाग के जूस प्लांट अथवा फैक्ट्री में हर साल 20 से 40 क्विंटल बुरांस का जूस निकाला जाता है। उपमंडल संगड़ाह के आधा दर्जन किसान हर साल क्षेत्र के जंगलों से वन विभाग की अनुमति से बुरांस निकालकर इसे उद्यान विभाग अथवा संबंधित उद्योगों को बेचते हैं।

हृदय रोग, कैंसर, खून संबंधी बीमारियों तथा पेट के रोगों के लिए बुरांस का जूस अचूक औषधि समझा जाता है, जिसके चलते यह सामान्य जूस से काफी महंगा है। क्षेत्र में बुरांस के उत्पादों से संबंधित कोई बड़ा उद्योग लगने की सूरत में यह सैंकड़ों किसान परिवारों की आय अथवा आजीविका का साधन बन सकता है। उद्यान विभाग विषयवाद विशेषज्ञ के पद से सेवानिवृत्त हुए यूएस तोमर के अनुसार राजगढ़ में मौजूद जूस प्लांट में हर साल 20 से 40 क्विंटल बुरांस के फूलों की जरूरत रहती है।

📢 लेटेस्ट न्यूज़

हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें

ताज़ा खबरों और अपडेट्स के लिए अभी हमारे WhatsApp ग्रुप का हिस्सा बनें!

Join WhatsApp Group

आपकी राय, हमारी शक्ति!
इस खबर पर आपकी प्रतिक्रिया साझा करें


[web_stories title="false" view="grid", circle_size="20", number_of_stories= "7"]