टीजीटी से पीजीटी पदोन्नति की वरिष्ठता सूची होगी पूरी तरह संशोधित; शिक्षकों को 7 दिन का नोटिस
हिमाचल नाऊ न्यूज़ शिमला
हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग में कार्यरत 592 प्रवक्ता स्कूल न्यू (PGT School New) शिक्षकों पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी है। प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देशों का हवाला देते हुए स्कूल शिक्षा निदेशालय ने इन सभी शिक्षकों को डिमोट (पदोन्नति निरस्त) करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
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विभाग ने शनिवार को इन शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है, जिसमें पूछा गया है कि क्यों न उन्हें उनके मूल पद पर डिमोट कर दिया जाए और उनकी वरिष्ठता को निरस्त कर दिया जाए।
वरिष्ठता में पीछे जाने का खतरा
विभाग के इस आदेश के बाद शिक्षकों में हड़कंप मच गया है। नोटिस में साफ किया गया है कि टीजीटी से प्रवक्ता पद पर हुई पदोन्नति के लिए पूरी वरिष्ठता सूची को ही संशोधित किया जा रहा है।
अगर यह डिमोशन होता है, तो ये सभी 592 शिक्षक वरिष्ठता क्रम में पीछे चले जाएंगे, जिससे इन्हें आर्थिक से लेकर वरिष्ठता का भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
हाई कोर्ट का ‘पूर्णिमा कुमारी बनाम राज्य सरकार’ मामला बना आधारयह पूरा मामला प्रदेश उच्च न्यायालय के एक सख्त आदेश से जुड़ा है।
मूल आदेश:
उच्च न्यायालय ने पूर्णिमा कुमारी बनाम राज्य सरकार मामले में 10 सितंबर, 2024 को निर्देश दिया था कि टीजीटी से पीजीटी पदोन्नति की वरिष्ठता सूची में आवश्यक संशोधन कर नया संशोधित वरिष्ठता क्रम जारी किया जाए।
अवमानना याचिका: कोर्ट के आदेश के बावजूद, विभाग ने वरिष्ठता संशोधन किए बिना कनिष्ठों को पदोन्नत कर दिया। इसके खिलाफ हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की गई।
कोर्ट का सख्त रुख:
अदालत ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए सचिव शिक्षा को उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं। विभाग ने इसी दबाव में अब डिमोशन की कार्रवाई शुरू की है।हाल ही में हुई थीं 642 पदोन्नतियांगौरतलब है कि सरकार ने फरवरी 2025 में ‘हिमाचल प्रदेश भर्ती एवं सरकारी कर्मचारियों की सेवा की शर्तें अधिनियम 2024’ लागू किया था, जिसके अनुसार नियमित रूप से नियुक्त कर्मचारियों को ही वरिष्ठता, वेतनवृद्धि और पदोन्नति जैसी सुविधाएं मिलेंगी।
इसके बीच, विभाग ने टीजीटी से प्रवक्ता स्कूल न्यू के पदों के लिए नए विकल्प मांगे और जुलाई 2025 में विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) की बैठक आयोजित कर 642 शिक्षकों को प्रवक्ता स्कूल न्यू पद पर पदोन्नत किया था। अब इन पदोन्नतियों की वरिष्ठता ही खतरे में है।
अनुबंध प्रथा से जुड़ा है विवाद
शिक्षा विभाग के निदेशक, आशीष कोहली, ने इस मामले पर स्पष्टीकरण देते हुए बताया कि यह पूरा विवाद वर्ष 2010 के बाद अनुबंध आधार पर हुई भर्तियों से जुड़ा है। उन्होंने कहा, “वर्ष 2009 व इससे पहले कुछ पद विज्ञापित किए गए थे और चयन भी हो चुका था, लेकिन इन शिक्षकों को साक्षात्कार व नियुक्ति 2010 के बाद दी गई जब अनुबंध प्रथा लागू कर दी गई थी।
7 दिन में जवाब न देने पर होगी एकतरफा कार्रवाई
निदेशक कोहली ने बताया कि प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार वरिष्ठता सूची को संशोधित किया जा रहा है। सभी शिक्षकों को सात दिन के अंदर जवाब देने के लिए कहा गया है। अगर शिक्षक इसका जवाब नहीं देते हैं तो उनके खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की जा सकती है। जवाब आने के बाद ही इस मामले में विभाग आगामी निर्णय लेगा।
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