अप्पर यमुना बोर्ड की बैठक 20 नवंबर को, हिमाचल सरकार ने रेणुका और किशाऊ परियोजनाओं पर फंड के लिए सख्त रुख अपनाया
हिमाचल नाऊ न्यूज़ शिमला।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और हरियाणा राज्य को पानी उपलब्ध कराने के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट अब हिमाचल प्रदेश की सशर्त मंज़ूरी के अधीन आ गए हैं। हिमाचल सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह राष्ट्रहित में पानी देने के लिए पूरी तरह तैयार है, लेकिन इसके लिए दूसरे राज्यों को उसकी शर्तें माननी होंगी और पूरे प्रोजेक्ट की लागत वहन करनी होगी।
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लंबे समय से लंबित इस मुद्दे पर बातचीत के लिए 20 नवंबर को दिल्ली में अप्पर यमुना रिवर बोर्ड की अहम बैठक होने जा रही है।इस बैठक में प्रदेश से ऊर्जा सचिव राकेश कंवर और जल शक्ति सचिव राखिल काहलों हिमाचल का पक्ष रखेंगे।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में दिल्ली, हरियाणा और उत्तराखंड के वरिष्ठ अधिकारी भी हिस्सा लेंगे।
रेणुका बांध: विस्थापन का दंश और फंडिंग की मांग
दिल्ली को पानी मुहैया कराने के लिए प्रस्तावित रेणुका बांध परियोजना सालों से लटकी हुई है। हिमाचल सरकार की मुख्य शर्त है कि दिल्ली सरकार न केवल ज़मीन अधिग्रहण के लिए पैसा दे, बल्कि बांध निर्माण के साथ-साथ इस पर बनने वाले 40 मेगावॉट क्षमता के बिजली प्रोजेक्ट के लिए भी पूरा पैसा दे। हिमाचल का तर्क है कि इस बांध के कारण प्रदेश के बड़े पैमाने पर लोग विस्थापित हुए हैं और विस्थापन का दंश केवल हिमाचल झेल रहा है। इसलिए, जिसकी पानी की ज़रूरत है, उसे ही पूरे प्रोजेक्ट पर पैसा लगाना होगा।
दिल्ली ने अब तक ज़मीन अधिग्रहण के लिए तो पैसा दिया है, लेकिन डाइवर्जन टनल के लिए मांगा गया फंड अभी तक जारी नहीं किया है। हालांकि, हिमाचल पावर कॉर्पोरेशन द्वारा इस महीने टनल के लिए टेंडर किया जाने वाला है।
किशाऊ और लखवार डैम पर भी सख्त रुख
इसी तरह, उत्तराखंड और हिमाचल की सीमा पर बनने वाली किशाऊ डैम परियोजना से हरियाणा को पानी दिया जाना है। हिमाचल सरकार ने यहाँ भी स्पष्ट कर दिया है कि पूरा पैसा हरियाणा राज्य लगाए, क्योंकि यह बांध हिमाचल की सीमा पर बन रहा है। उत्तराखंड की सीमा पर बनने वाली लखवार परियोजना का मामला भी अधर में है, जिस पर बोर्ड की बैठक में चर्चा होगी।प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि जब हिमाचल की ज़मीन पर बांध बनाकर दूसरे राज्यों को पानी देना है, तो हिमाचल इस पर अपना खर्च क्यों करे।
उन्होंने कहा है कि हिमाचल अपना हक लेकर रहेगा। प्रदेश सरकार मांग कर रही है कि समय पर वित्तीय प्रबंधन हो और ये प्रोजेक्ट केवल हिमाचल की शर्तों पर ही लगें। 20 नवंबर की यह बैठक इन बहुराज्यीय परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए निर्णायक साबित हो सकती है।
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