HNN/कांगड़ा
पौंग झील की खाली जमीन पर फसल बिजाई के खिलाफ आसपास की डेढ़ दर्जन पंचायतों के ग्रामीण और प्रतिनिधि एकजुट हो गए हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रदेश सरकार पौंग झील को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की कोशिश कर रही है, लेकिन कुछ प्रभावशाली लोग प्रतिबंधित क्षेत्र में फसल की बिजाई कर रहे हैं और कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कर पर्यावरण और विदेशी पक्षियों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
ग्रामीणों ने समकेहड़ पंचायत में बैठक कर अपना विरोध दर्ज कराया और कहा कि यदि सरकार ने झील किनारे खेती जारी रखी तो वे आंदोलन करेंगे और कानूनी रास्ता अपनाएंगे। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने झील के किनारे खेती को बढ़ावा दिया तो वे अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। इस संबंध में जवाली विधायक और कृषि मंत्री चंद्र कुमार को भी सूचित कर दिया गया है।
हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें: Join WhatsApp Group
पर्यावरण प्रेमी मिल्खी राम शर्मा ने कहा कि झील किनारे खेती करना सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत प्रतिबंधित है, लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते विभागीय अधिकारी और कर्मचारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। इस मुद्दे को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में भी उठाया गया है और 17 सितंबर को सुनवाई होगी। शर्मा ने आश्वासन दिया कि वे झील किनारे फसल बीजाई बंद करवाने के लिए संघर्ष जारी रखेंगे। झील की प्रतिबंधित जमीन पर किसी भी हालत में फसल की बिजाई नहीं होने दी जाएगी।
📢 लेटेस्ट न्यूज़
हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें
ताज़ा खबरों और अपडेट्स के लिए अभी हमारे WhatsApp ग्रुप का हिस्सा बनें!
Join WhatsApp Group





