HNN/ नाहन
कोरोना महामारी के चलते 2 वर्षों के बाद देवभूमि एक बार फिर लोक नृत्य एवं वाद्य यंत्रों से गूंज उठी है। जिला सिरमौर भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा जिला मुख्यालय नाहन में दो दिवसीय लोकनृत्य एवं वाद्य यंत्र प्रतियोगिताओं का आयोजन करवाया गया। आयोजित प्रतियोगिता के प्रथम दिन बतौर मुख्य अतिथि जिला सिरमौर पुलिस कप्तान ओमापति जमवाल ने शिरकत करी। जबकि शुक्रवार को समापन दिवस पर उपायुक्त जिला सिरमौर आरके गौतम शिरकत करेंगे।
आयोजित दो दिवसीय प्रतियोगिता में पूरे जिला की करीब 30 टीमें भाग ले रही हैं। जिनमें लोक नृत्य कलाकार और पारंपरिक वाद्य यंत्र दल हिस्सा ले रहे हैं। कार्यक्रम का आयोजन नाहन के किसान भवन में किया जा रहा है। बड़ी बात तो यह है कि करीब 2 वर्षों के बाद लोक कलाकारों को मंच नसीब हुआ है। कोविड-19 के दौरान स्थानीय लोक कलाकारों पर आर्थिक मंदी की भी बड़ी मार पड़ी है।
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प्रतियोगिता के प्रथम दिन गोगा महाराज वाद्य दल गताधार, हाटी सांस्कृतिक दल बाऊनल, वाद्य दल बकरास, शिरगुल वाद्य दल अंधेरी, श्री परशुराम वाद्य दल दिगवा, चंदेल वाद्य दल कांडोच्योग, लधयाना लोक वादक दल बाली कोटि, शिरगुल महाराज वाद्य दल गाता, शिवशक्ति वाद्य दल, चंदेल वाद्य यंत्र वादक पार्टी, मां बाला सुंदरी रतन वादक सांस्कृतिक दल, धीमान संस्कृति एवं लोक वाद्य दल सहित हरिजन कल्याण संस्कृति एवं मध्य दल टटियाना के लोक कलाकारों ने मुख्य रूप से अपनी प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम में मंच का संचालन लोक संस्कृति के संरक्षक ओमप्रकाश राही के द्वारा किया गया।
जिला स्तरीय प्रतियोगिता में बतौर जज प्रोफेसर डॉक्टर देवराज शर्मा, मोनिका कुमारी, जयप्रकाश चौहान उपस्थित रहे। जिला भाषा एवं सांस्कृतिक अधिकारी कांता नेगी ने बताया कि प्रदेश सरकार लोक कलाकारों और लोक संस्कृति के संरक्षण को लेकर लगातार प्रयासरत है। उन्होंने बताया कि इस दो दिवसीय प्रतियोगिता में विजेता टीम को राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि भाषा एवं संस्कृति विभाग का मुख्य उद्देश्य है कि लोक कलाकारों को मंच प्रदान किया जाए साथ ही पुरातन संस्कृति का संरक्षण और संवर्धन सुनिश्चित किया जाए।
वही मुख्य अतिथि जिला पुलिस कप्तान ओमापति जमवाल ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि तेजी से भागते इंटरनेट युग में भी जिला का युवा अपनी लोक संस्कृति के पूरी तरह से समर्पित है। उन्होंने कहा कि पारंपारिक वाद्य यंत्र और लोक नृत्य हमारे पहाड़ी प्रदेश की पहचान है। इसी पहचान की वजह से देश और दुनिया में हिमाचल अपनी अलग पहचान बनाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि भले ही कोरोना से बंदिशे हट गई हो मगर फिर भी कोरोना प्रोटोकॉल का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
वही वाद्य यंत्र एवं लोक गायन में ख्याति प्राप्त प्रोफेसर देवराज शर्मा ने कहा कि पहाड़ी राज्य में सुख-दुख सहित हर संस्कार में अलग-अलग वाद्य यंत्रों की विशेष भूमिका होती है। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि लोक वाद्य यंत्रों के दलों को आर्थिक रूप से सरकार की ओर से मदद मिलनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश की शिक्षा में पारंपारिक लोक संस्कृति को शामिल कर वाद्य यंत्र व फोक कलाकारों को बतौर कल्चर अध्यापक नियुक्तियां भी दी जानी चाहिए। कार्यक्रम में लोक संस्कृति कैप मुख्य संरक्षक कंवरपाल सिंह नेगी भी मुख्य रूप से उपस्थित रहे।
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