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पीला रतुआ और आलू के झुलसा रोग में कारगर है खट्टी लस्सी

SAPNA THAKUR | 28 फ़रवरी 2022 at 3:54 pm

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HNN/ ऊना वीरेंद्र बन्याल

आतमा परियोजना ऊना ने गेंहू की फसल में होने वाली बीमारी पीला रतुआ तथा आलू की फसल पर अगेता/पिछेता झुलसा बीमारी पर एडवाईज़री जारी की है। उन्होंने कहा कि जिला ऊना में 754.05 हक्टेयर भूमि पर लगभग 9857 किसानों द्वारा प्राकृतिक खेती की जाती है। ऊना में गेंहू की फसल पर पीला रतुआ व आलू की फसल पर अगेता/पिछेता झुलसा रोग आने की संभावना तापमान की वृद्धि के साथ बढ़ती जाती है।

रोकथाम के उपाय
बीमारियों से फसल को बचाने हेतू लगभग 7-8 दिन पुरानी खट्टी लस्सी (1.5 लीटर) को 40 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें तथा 8 दिन बाद दोबारा छिड़काव करें। उन्होंने कहा कि एक पम्प में 600 मि.ली. खट्टी लस्सी तथा बाकी पानी मिलाकर छिड़काव करें। उन्होंने कहा कि सोंठास्त्र (1.5 लीटर) को 40 लीटर पानी में मिलाकर छिडकाव करें और 8 दिन बाद दोबारा छिड़काव करें। 50 ग्राम सुखी सोंठ को कूटकर पाउडर बना लें।

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इसको 500 मिली पानी में उबालें और आधा रह जाने पर इसको ठंडा कर लें। इसके बाद बर्तन में देसी गाय का 500 मिली दूध एक बार उबाल कर ठंडा कर लें तथा दूध मलाई को अलग कर लें। दूध और सोंठ वाले पानी को मिला लें। सोंठास्त्र बनाने के 48 घण्टे बाद प्रयोग करें। एक स्प्रे पंप में 7-8 दिन पुरानी खट्टी लस्सी (600 मिली), 1 लीटर जीवामृत और बाकी पानी 8 दिन के अंतराल पर छिडकाव करें।

पानी 40 लीटर, देसी गाय का गोबर 2 किग्रा, देसी गाय का मूत्र 2 लीटर, गुड़ 200 ग्राम, बेसन 200 ग्राम खेत या मेढ़ की मिट्टी (रासायन मुक्त) 1 मुट्ठी मिलाकर ड्रम में घोल लें। घोल को घड़ी की सुई की दिशा में 2-3 मिनट तक घोलें। ड्रम को बोरी से ढ़क कर 72 घण्टे तक छाया में रख दें व प्रतिदिन सुबह शाम 2-3 मिनट घोलें। जीवामृत का प्रयोग 7 दिन के अंदर कर लें।

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