किसानों और विशेषज्ञों के बीच दूरी कम हो: केवल सिंह पठानिया
Himachalnow/काँगड़ा
चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय में बुधवार को रबी फसलों पर राज्य स्तरीय कृषि अधिकारियों की कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि कृषि एवम पशुपालन मंत्री चंद्र कुमार ने अपने उद्घाटन भाषण में वैज्ञानिकों और कृषि अधिकारियों से किसानों को रबी फसलों का उत्पादन बढ़ाने में मदद करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि मौसम अनुकूल कृषि राज्य में खाद्य फसलों, तिलहन, दालों और सब्जियों के उत्पादन को बढ़ाने में मदद कर सकती है, जो राष्ट्रीय उत्पादकता से कम है। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा अनुमोदित फसल किस्मों और प्रौद्योगिकी को किसानों के बीच शीघ्रता से स्थानांतरित करने में कृषि अधिकारियों से मदद मांगी ताकि किसानों की आय में वृद्धि हो।
चंद्र कुमार ने कहा कि पहाड़ी राज्यों की कृषि आवश्यकताओं के लिए अलग संगठन होना चाहिए, जहां पर उनकी जरूरतों के मुताबिक अनुसन्धान हो। हिमाचल छोटा पहाड़ी राज्य है और वहां की विविधता पूर्ण परिस्थिति है। मंत्री चंद्र कुमार ने कृषि की कम होती भूमि पर चिंता जताई। उन्होंने नई टेक्नोलॉजी को किसानों तक ले जाने के लिए अधिकारियों को कहा ताकि उसका प्रयोग अधिक हो। गुणवत्ता वाले बीज के महत्व पर भी प्रकाश डाला और छोटे समूहों को अपनाने की सलाह दी। उन्होंने बढ़ती जनसंख्या और घटती कृषि भूमि जैसी चुनौतियों पर भी बात की और नई प्रौद्योगिकियों को पेश करने और अपनाने की मांग की।
उप मुख्य सचेतक केवल सिंह पठानिया ने कहा कि अधिकारियों और विशेषज्ञों को अपनी बात स्थानीय भाषा में रखनी चाहिए। उन्होंने किसानों और विशेषज्ञों के बीच की दूरी को कम करने के लिए किसी मध्यस्थ को लाने की बात कही जो किसानों की बात को सही तरह वैज्ञानिकों को समझा सकें।कुलपति प्रो नवीन कुमार ने कहा कि मृदा परीक्षण के लिए ब्लॉक से भी नीचे गांव स्तर पर पहुंचाने के लिए नई परियोजना को लाया जा रहा है। पीला रतुआ की रोकथाम के लिए लगातार प्रयास करते हुए प्रतिरोधी किस्मों को किसानों तक पहुंचा रहें है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश के विभिन्न क्षेत्र विशेष की फसलों पर विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ ग्रामीणों के साथ मिलकर कार्य कर रहे है।विशिष्ट अतिथि कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डा. जीत सिंह ने आगामी रबी सीजन की तैयारियों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि आगामी रबी सीजन के लिए गुणवत्तापूर्ण बीज, उर्वरक, रसायन, कृषि मशीनरी और उपकरण आदि जैसे कृषि निवेश की व्यवस्था की गई है। उन्होंने जिलेवार इन्हें प्राप्त करने के लिए विभिन्न योजनाओं के साथ फसल उत्पादन लक्ष्य और व्यवस्थाएं के बारे में भी जानकारी साझा कीं।
अनुसंधान निदेशालय के प्रभारी वैज्ञानिक डाक्टर प्रदीप कुमार ने अनुसंधान गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी।
प्रसार शिक्षा निदेशक डा. विनोद शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय और कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा खेती के विभिन्न पहलुओं पर छोटी और लंबी अवधि के प्रशिक्षण आयोजित किए गए है। किसानों के खेतों पर अग्रिम पंक्ति के प्रदर्शनों की जियो टैगिंग शुरू की गई है। उन्होंने अन्य प्रसार गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यशाला में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए कृषि उपनिदेशकों ने कृषि परिदृश्य के बारे में फीडबैक दिया। अतिरिक्त निदेशक डाक्टर जीत सिंह ठाकुर,, डाक्टर प्रदीप कुमार प्रभारी वैज्ञानिक अनुसंधान निदेशालय ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में कुल सचिव डाक्टर मधु चौधरी , संयुक्त निदेशक राहुल कटोच, हिमाचल किसान यूनियन के प्रधान सीता राम वर्मा समेत सविधिक अधिकारी, प्रगतिशील किसानों, प्रदेश के कृषि अधिकारियों, विशेषज्ञों तथा विश्वविद्यालय के लगभग 150 वैज्ञानिकों ने भी अपनी भागीदारी दर्ज करवाई।