कटोला पंचायत के लोगों ने जताई नाराजगी, ज्ञापन सौंपा
सिरमौर जिले के नाहन की सालानी कटोला पंचायत के लोगों ने दलित शोषण मुक्ति मंच के बैनर तले एक अवैध रूप से संचालित स्टोन क्रशर के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। ग्रामीणों का आरोप है कि बिना अनुमति के यह क्रशर संचालित हो रहा है, जिससे उनकी जमीन को भारी नुकसान पहुंच रहा है। इस समस्या का समाधान कराने के लिए ग्रामीणों ने उपायुक्त को एक ज्ञापन भी सौंपा है।
50 बीघा जमीन पर मंडरा रहा खतरा
दलित शोषण मुक्ति मंच के जिला संयोजक आशीष कुमार ने बताया कि स्टोन क्रशर से करीब 50 बीघा जमीन पर खतरा मंडरा रहा है। उनका कहना है कि क्रशर संचालकों द्वारा अवैध खनन किया जा रहा है, जिससे भूमि कटाव की समस्या गहराती जा रही है। ग्रामीणों की शिकायतों के बावजूद प्रशासन द्वारा अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
स्थानीय प्रशासन की कार्रवाई से असंतुष्ट ग्रामीण
ग्रामीणों ने बताया कि एसडीएम और जिला खनन अधिकारी ने समस्या की जांच के लिए मौके का निरीक्षण किया था, लेकिन उनकी कार्रवाई से लोग संतुष्ट नहीं हैं। आशीष कुमार ने चेतावनी दी कि यदि स्थानीय स्तर पर समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो इसे नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) में उठाया जाएगा।
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जरूरी अनुमति और एनओसी का अभाव
स्टोन क्रशर चलाने के लिए स्थानीय अथॉरिटी से विभिन्न एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) लेना अनिवार्य है। इनमें अग्निशमन विभाग, इंडस्ट्री डिपार्टमेंट, पंचायत, पोलूशन कंट्रोल बोर्ड और फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट, 1980 के तहत अनुमति शामिल है। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि क्रशर संचालकों ने इनमें से किसी भी विभाग से एनओसी नहीं ली है।
मुआवजे और क्रशर बंद करने की मांग
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि बिना अनुमति चल रहे इस क्रशर को तुरंत प्रभाव से बंद किया जाए और जिनकी जमीन तबाह हुई है, उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए।
एनजीटी और पोलूशन कंट्रोल बोर्ड में शिकायत दर्ज
ग्रामीणों ने बताया कि इस मामले में एनजीटी के सेक्शन 15 के तहत शिकायत दर्ज कराई जाएगी। इसके साथ ही, पोलूशन कंट्रोल बोर्ड में भी शिकायत की जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि क्रशर को वैध माना भी जाए, तो मालिक को भूमि कटाव से प्रभावित लोगों को मुआवजा और अन्य सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए।
ग्रामीणों की अपील
ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि इस समस्या को प्राथमिकता के साथ हल किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्दी कार्रवाई नहीं हुई, तो वे अपनी लड़ाई अदालत तक लेकर जाएंगे।
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