जीएसटी भवन नाहन में संविधान दिवस पर ली गई प्रतिज्ञा

न्याय व व्यवस्थित जीवन का आधार है भारतीय संविधान..प्रितपाल

HNN / नाहन

जिला मुख्यालय नाहन के जीएसटी भवन में संविधान दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर राज्य कर एवं आबकारी विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के द्वारा कर्तव्यों का पालन करने की शपथ भी ली गई। उपायुक्त राज्य कर एवं आबकारी विभाग जिला सिरमौर प्रितपाल सिंह ने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान हमारे जीवन और समाज की व्यवस्था का मुख्य आधार है। उन्होंने कहा कि संविधान सामाजिक आर्थिक और न्याय विचार अभिव्यक्ति विश्वास धर्म तथा उपासना की स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है।

वही सहायक आयुक्त अविनाश चौहान ने कहा कि संविधान दिवस पर प्रतिज्ञा को फिर से दोहराना हमें संविधान के प्रति समर्पित रहना सिखाता है। उन्होंने कहा कि देश में एक साथ रह रहे विभिन्न तरह के लोगों के बीच संविधान एक भरोसा है और यह सहयोग को भी विकसित करता है। यही नहीं भारतीय संविधान सरकार के अधिकारों की सीमा भी तय करता है और यह हमें बताता है कि नागरिकों के अधिकार क्या है।

अविनाश चौहान ने कहा कि एक अच्छे समाज के गठन के लिए भारतीय संविधान हमारी आकांक्षाओं को व्यक्त करता है। सहायक आयुक्त गणेश गुप्ता ने संविधान की मूल प्रति के इतिहास पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि भारतीय संविधान के निर्माण पर 64 लाख का खर्चा आया था। उन्होंने बताया कि भारतीय संविधान के बनने में 2 साल 11 महीने 18 दिन का समय लगा था। तो वही एएसटीईओ पंकज राणा ने बताया कि भारतीय संविधान में एक प्रस्तावना 22 भाग 448 अनुच्छेद और 12 अनुसूचियां है।

जिला सिरमौर राज्य कर एवं आबकारी विभाग के उपायुक्त प्रितपाल सिंह ने इस मौके पर सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को संविधान दिवस पर शपथ भी दिलाई। उन्होंने कहा कि संविधान को भारतीय समाज के लिए एक मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में प्रस्तुत करने में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रभावी और निर्णायक भूमिका रही है। कहा कि 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने संविधान के प्रारूप को स्वीकार किया था।

उन्होंने बताया कि डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कमेटी ने इसे तैयार किया था और इसी रूप में 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान को लागू किया गया था। जिसके बाद भारत एक गणराज्य घोषित हुआ था। उन्होंने कहा कि हमें अपने कर्तव्यों का पूरी निष्ठा से पालन करना चाहिए और संविधान के अनुसार लोगों के अधिकारों को प्रतिबद्धता के साथ सुनिश्चित भी करना है।


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