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चौंतड़ा विकास खंड की 42 पंचायतों को प्लास्टिक कचरे से जल्द मिलेगी मुक्ति

सिंगल यूज प्लास्टिक कचरा निष्पादन को पस्सल पंचायत में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र स्थापित

HNN/ मंडी

मंडी जिला के चौंतड़ा विकास खंड की सभी 42 ग्राम पंचायतों को जल्द ही प्लास्टिक कचरे की समस्या से निजात मिलेगी। सिंगल यूज प्लास्टिक कचरा निपटान के लिये विकास खंड की ग्राम पंचायत पस्सल में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र स्थापित किया गया है। इस संयंत्र के पूरी तरह क्रियाशील हो जाने से जहां विकास खंड की सभी ग्राम पंचायतों से प्राप्त होने वाले सिंगल यूज प्लास्टिक कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निपटान किया जाएगा तो वहीं संबंधित ग्राम पंचायत को आय भी सृजित होगी।

सबसे अहम बात यह है कि संयंत्र के चालू हो जाने से जहां लोगों को प्रतिदिन निकलने वाले सिंगल यूज प्लास्टिक कचरे से मुक्ति मिलेगी तो वहीं पर्यावरण व ग्रामीण परिवेश स्वच्छ व साफ-सुथरा बनेगा। संभवत: जिला मंडी में इस तरह का संयंत्र स्थापित करने वाला चौंतड़ा पहला विकास खंड है। स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के अंतर्गत लगभग 16 लाख रुपये की लागत से ग्राम पंचायत पस्सल में यह प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र स्थापित किया गया है।

इस संयंत्र के माध्यम से सिंगल यूज प्लास्टिक कचरे का वैज्ञानिक तरीके से निपटारा किया जाएगा। इस संयंत्र में एकत्रित होने वाले सिंगल यूज प्लास्टिक निपटान को बेलिंग मशीन, प्लास्टिक श्रेडर मशीन, प्लास्टिक डस्ट रिमूवर मशीन के साथ-साथ पंचायतों से प्लास्टिक कचरा एकत्रीकरण को ई-रिक्शा की सुविधा भी उपलब्ध रहेगी।

इस संयंत्र के माध्यम से प्लास्टिक कचरे की प्रोसेसिंग कर इसे दोबारा काम में लाने को सीमेंट व प्लास्टिक सामान निर्माण फैक्टरियों के साथ-साथ लोक निर्माण विभाग को सडक़ों इत्यादि के निर्माण को उपलब्ध करवाया जाएगा। इससे न केवल ग्रामीणों को सिंगल यूज प्लास्टिक कचरे के निपटान में मदद मिलेगी बल्कि इस कार्य से संबंधित ग्राम पंचायत को आय भी सृजित होगी।

वर्तमान में सिंगल यूज प्लास्टिक कचरा जहां ग्रामीण क्षेत्रों में इधर-उधर बिखरा पड़ा रहता है तो वहीं लोग जलाकर इसे नष्ट करने का भी प्रयास करते हैं। इससे जहां हमारा पर्यावरण प्रदूषित होता है तो वहीं बिखरे प्लास्टिक कचरे के कारण गांव की नालियों इत्यादि के अवरुद्ध होने की समस्या से भी जूझना पड़ता है। यही नहीं प्लास्टिक कचरा न केवल हमारे नदी, नालों, तालाबों, कृषि भूमि इत्यादि को प्रदूषित कर रहा है बल्कि पेयजल स्त्रोत भी प्रभावित हो रहे हैं। जिसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है।

क्या कहते हैं पंचायत प्रधान…..
ग्राम पंचायत पस्सल के प्रधान विशाल सिंह राठौर का कहना है कि उनकी पंचायत में स्थापित प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र को क्रियाशील कर एकत्रित सिंगल यूज प्लास्टिक कचरे को पुन: इस्तेमाल योग्य बनाने को प्रोसेसिंग का कार्य किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में प्लास्टिक कचरा एक बहुत बड़ी समस्या बनकर सामने आई है जिसके निष्पादन को उनकी पंचायत के माध्यम से यह प्रयास शुरू हुआ है।

इसके अलावा महिलाओं व बच्चों के सेनेटरी पैड व नैपकिन निपटान को इंसीनरेटर मशीन भी स्थापित की जा रही है। उन्होंने पंचायत के इस कार्य को सफल बनाने के लिये समाज के सभी लोगों से सहयोग की अपेक्षा की है। उन्होंने बताया कि इस संयंत्र का संचालन एक स्थानीय व्यक्ति द्वारा किया जा रहा है।

क्या कहते हैं अधिकारी……
खंड विकास अधिकारी (बी.डी.ओ.) चौंतड़ा सरवन कुमार का कहना है कि चौंतड़ा विकास खंड की 42 ग्राम पंचायतों के सिंगल यूज प्लास्टिक कचरा निष्पादन को ग्राम पंचायत पस्सल में लगभग 16 लाख रुपये की राशि व्यय कर प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र स्थापित किया गया है। वर्तमान में विकास खंड की 17 ग्राम पंचायतों में सिंगल यूज प्लास्टिक कचरा एकत्रीकरण कार्य शुरू कर लगभग 62 किलोग्राम प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा किया जा चुका है।

उन्होंने बताया कि कलेक्शन सेंटर से इसे ई-रिक्शा या अन्य वाहन के माध्यम से संयंत्र तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने ग्रामीणों से भी आह्वान किया है कि वे सिंगल यूज प्लास्टिक जिसमें दूध, दही, बिस्किट, चिप्स, कुरकुरे के पैकेट, पानी की बोतलों सहित विभिन्न खाद्य पदार्थों के रैपर इत्यादि को इधर-उधर फेंकने या जलाने के बजाय पंचायत प्रतिनिधियों, स्वच्छता वालंटियर, विभाग के फील्ड कर्मचारियों या फिर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत गठित स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को सौंपे ताकि इसका वैज्ञानिक तरीके से निपटारा किया जा सके।

उन्होंने इस अभियान की सफलता को विकास खंड की समस्त जनता से सकारात्मक सहयोग की अपील भी की है ताकि चौंतड़ा विकास खंड की सभी ग्राम पंचायतों को प्लास्टिक कचरे से मुक्त कर स्वच्छ, सुंदर व प्रदूषण रहित बनाया जा सके।


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