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किसानों को मिलेगा सीधा लाभ : डिजिटल माध्यम से होगा दूध का लेनदेन

हिमांचलनाउ डेस्क नाहन | 31 दिसंबर 2024 at 8:52 pm

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Himachalnow / शिमला

हिमाचली डेयरी उत्पादों का अलग ब्रांडिंग और बेहतर मूल्य निर्धारण का वादा

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने पशुपालन विभाग की समीक्षा बैठक में प्रदेश में दूध की खरीद प्रक्रिया को डिजिटलीकरण करने का बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने बताया कि प्रायोगिक आधार पर 8 से 10 समितियों में डिजिटल माध्यम से दूध खरीद का कार्य शुरू किया जाएगा। यह प्रणाली दूध खरीद में पारदर्शिता और निर्बाध संचालन सुनिश्चित करेगी।

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दूध उत्पादन को बढ़ावा देने की ऐतिहासिक पहल

मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने दूध खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागू किया है। वर्तमान में गाय का दूध 45 रुपये प्रति लीटर और भैंस का दूध 55 रुपये प्रति लीटर खरीदा जा रहा है। यह दर देश में सबसे अधिक है और इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।

नई योजनाओं से दुग्ध उद्योग को मिलेगा बढ़ावा

मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में 161.52 करोड़ रुपये की लागत से छह नए दुग्ध अभिशीतन और प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किए जाएंगे।

  • कांगड़ा जिले के ढगवार में 1.5 लाख लीटर प्रतिदिन की क्षमता वाले अत्याधुनिक स्वचालित दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र का निर्माण हो रहा है, जिसे मार्च 2026 तक क्रियाशील किया जाएगा।
  • संयंत्र की क्षमता को 3 लाख लीटर प्रतिदिन तक बढ़ाने की योजना है, जिससे कांगड़ा, ऊना, हमीरपुर और अन्य जिलों के दुग्ध उत्पादकों को लाभ मिलेगा।

डिजिटल दूध खरीद : नई तकनीक का समावेश

मुख्यमंत्री ने डिजिटल प्रणाली में निम्नलिखित प्रावधानों पर जोर दिया:

  1. रियल-टाइम डेटा प्रबंधन: वेब और मोबाइल इंटरफेस का उपयोग।
  2. जीपीएस सक्षम रूट ट्रैकिंग: दूध के कुशल परिवहन के लिए।
  3. सीधे बैंक खातों में भुगतान: किसानों को तुरंत लाभ।
  4. एसएमएस अलर्ट: संग्रहण डेटा, गुणवत्ता और मूल्य निर्धारण की जानकारी।

किसानों के लिए नई संभावनाएं

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि किसानों को पशुधन की देखभाल और बेहतर उत्पादन के लिए शिक्षित किया जाए। उन्होंने हिमाचली डेयरी उत्पादों का अलग से विपणन सुनिश्चित करने की भी बात कही ताकि किसानों को उनके उत्पादों का अधिकतम मूल्य मिल सके।

प्राकृतिक खेती और पशुपालन का तालमेल

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती और पशुपालन एक दूसरे के पूरक हैं। यह पहल राज्य में रासायनिक खेती पर निर्भरता कम करने और स्थायी खेती को बढ़ावा देने का कार्य करेगी।

नए युग की शुरुआत

मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि डिजिटलीकरण और नवीन योजनाओं से हिमाचल प्रदेश दुग्ध उत्पादन में देश का अग्रणी राज्य बनेगा। बैठक में पशुपालन मंत्री प्रो. चंद्र कुमार, सचिव पशुपालन रितेश चौहान और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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