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कांगड़ा की महिलाएं आत्मनिर्भरता की मिसाल , मेहनत से लिख रही सफलता की नई कहानी

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Himachalnow / कांगड़ा

स्वयं सहायता समूहों से जुड़कर लखपति बनीं मेघा देवी और संजू कुमारी

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हिमाचल प्रदेश में महिलाओं के योगदान को सम्मानित करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इस बार राज्य स्तरीय मुख्य समारोह कांगड़ा जिले में होगा, जहां मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू उन महिलाओं को सम्मानित करेंगे जिन्होंने अपने प्रयासों से समाज में बदलाव लाया है।

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हमारे समाज में महिलाओं की भूमिका केवल परिवार तक सीमित नहीं है, बल्कि वे आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक बदलाव की धुरी बन रही हैं। ऐसी ही कुछ प्रेरणादायक कहानियां कांगड़ा जिले की हैं, जहां महिलाएं अपनी मेहनत और सही मार्गदर्शन के बल पर आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर रही हैं।

परिवार की स्थिति बदली, अब दूसरों को दे रही प्रेरणा
कांगड़ा के सुलह गांव की रहने वाली मेघा देवी का जीवन कभी आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। पति की सीमित आय से घर चलाना मुश्किल हो गया था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। श्री गणेश स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत डूना-पत्तल निर्माण का प्रशिक्षण लिया। यह पारंपरिक व्यवसाय होने के कारण इसकी बाजार में अच्छी मांग है।

सरकारी योजनाओं का सही उपयोग कर उन्होंने अपना व्यवसाय शुरू किया और आज वे हर महीने 15 से 20 हजार रुपये तक कमा रही हैं। उनकी मेहनत और आत्मनिर्भरता ने उन्हें लखपति बना दिया है।

बांस उत्पादों से बनाई नई पहचान
रैत ब्लॉक के मरकोटी गांव की संजू कुमारी की कहानी भी कुछ ऐसी ही प्रेरणादायक है। कभी आर्थिक तंगी झेल रहा उनका परिवार अब स्थिर आय अर्जित कर रहा है। शिव शक्ति स्वयं सहायता समूह से जुड़ने के बाद उन्होंने बांस के उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण लिया।

उनके बनाए हस्तशिल्प उत्पादों की मांग अब लगातार बढ़ रही है और वे हर महीने 20 हजार रुपये तक कमा रही हैं। उनकी यह सफलता न केवल उनके परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने में मददगार रही, बल्कि अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित कर रही है।

सामूहिक सशक्तिकरण की ओर बढ़ता कांगड़ा
उपायुक्त हेमराज बैरवा के अनुसार, कांगड़ा जिले में 8,000 से अधिक स्वयं सहायता समूह कार्यरत हैं, जिनसे हजारों महिलाएं जुड़ी हुई हैं। ये महिलाएं सिलाई, बुनाई, कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण, पशुपालन और हस्तशिल्प जैसी गतिविधियों में संलग्न हैं।

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाओं को रिवॉल्विंग फंड, स्टार्टअप फंड और प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इससे वे न केवल आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं, बल्कि सामूहिक निर्णय लेने में भी अपनी अहम भूमिका निभा रही हैं।

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