विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर डॉक्टर शर्मा ने कहा कि आत्महत्या को रोकने के लिए जागरूकता ही मुख्य कुंजी है। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को गंभीरता से लेना चाहिए और इसके बारे में खुलकर बात करनी चाहिए।डॉक्टर शर्मा ने कहा कि आत्महत्या के कारणों में डिप्रेशन, एंजाइटी, बाइपोलर, उन्माद और नशीली दवाओं की लत शामिल हैं। इसके अलावा, अच्छी नौकरी पाने का सामाजिक दबाव, अच्छा मार्क्स, सामाजिक प्रतिष्ठा पाने का सामाजिक दबाव और पारिवारिक मुद्दे भी आत्महत्या का कारण बन सकते हैं।
मनोवैज्ञानिक डॉक्टर खुशबू कुमारी ने कहा कि आत्महत्या को रोकने के लिए हमें लोगों को अपनी भावनाओं और समस्याओं के बारे में खुलकर बात करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की मदद लेने से भी आत्महत्या को रोका जा सकता है।सामाजिक कार्यकर्ता राजेश कुमार ने कहा कि आत्महत्या को रोकने के लिए हमें सामाजिक दबाव और अकेलापन को कम करने के लिए सामाजिक समर्थन प्रदान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें लोगों को अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद करनी चाहिए।
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डॉक्टर शर्मा ने कहा कि अगर आपको लगता है कि आप अपनी समस्या अपने परिवार या अपने दोस्तों को नहीं बता सकते, तो आप मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों से मिलना चाहिए। भारत में, सरकार ने 24/7 टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर प्रदान किया है, जिस पर आप बात करने और अपनी समस्या साझा करने की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।इस तरह, विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर एक्सपर्ट्स ने आत्महत्या को रोकने के लिए जागरूकता और सामाजिक समर्थन के महत्व पर जोर दिया है।
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