लेटेस्ट हिमाचल प्रदेश न्यूज़ हेडलाइंस

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का कड़ा आदेश: प्रमुख सचिव पर एक लाख रुपये का जुर्माना

हिमाचलनाउ डेस्क | 29 नवंबर 2024 at 1:11 pm

Share On WhatsApp Share On Facebook Share On Twitter

Himachalnow / शिमला

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के प्रमुख सचिव आरडी नजीम पर अदालत के आदेशों का पालन न करने पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। अदालत ने यह आदेश तब दिया जब यह पाया गया कि सरकार के रवैये के कारण अदालत का समय बर्बाद हो रहा था। यह जुर्माना अब प्रधान सचिव को व्यक्तिगत रूप से चुकाना होगा।

हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें: Join WhatsApp Group


अदालत का समय बर्बाद करने का आरोप

अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य सरकार का रवैया न केवल याचिकाकर्ताओं के मामले को लंबा खींच रहा था, बल्कि इससे अदालत का बहुमूल्य समय भी बर्बाद हो रहा था। इस संदर्भ में, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की और सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि याचिकाकर्ताओं को समय पर न्याय मिलना चाहिए, और किसी भी प्रकार की देरी नहीं होनी चाहिए।


सुप्रीम कोर्ट और डबल बेंच का फैसला

इस मामले की पृष्ठभूमि में सरकार द्वारा 2017 के टिब्यूनल के फैसले को चुनौती दी गई थी। पहले सरकार ने इसे डबल बेंच में चुनौती दी, लेकिन डबल बेंच ने भी उस फैसले को रद्द कर दिया। इसके बाद, सरकार ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार की अपील खारिज कर दी।

इस सब के बावजूद, सरकार ने हाईकोर्ट में एलपीए (लॉन्ग पीरियॉड अपील) दायर की, जिसे भी रद्द कर दिया गया।


याचिकाकर्ताओं का हक और सरकार का रवैया

याचिकाकर्ताओं ने अब हाईकोर्ट में एक एग्जीक्यूशन याचिका दायर की है, जिसमें यह कहा गया कि वर्ष 2017 के टिब्यूनल के आदेशों की अब तक अनुपालना नहीं की गई है। अदालत ने गुरुवार को सरकार के रवैये पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि याचिकाकर्ताओं को अनुबंध के आधार पर की गई सेवाओं का लाभ मिलना चाहिए, खासकर उनके नियमितीकरण के बाद। इसके अलावा, वरिष्ठता और अन्य लाभ भी उन्हें दिए जाने चाहिए।


महाधिवक्ता का तर्क और कर्मचारियों की याचिकाएं

सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने अदालत में यह तर्क दिया कि पदोन्नति का अधिकार मौलिक अधिकार है, लेकिन यह निहित अधिकार नहीं है। उन्होंने अदालत को बताया कि डीपीसी (डिपार्टमेंटल प्रोमोशन कमेटी) 2016 में लागू की गई थी, जिसके आधार पर वरिष्ठता की सूची तैयार की गई है।

इस मामले में कर्मचारियों ने करीब एक हजार याचिकाएं दायर की हैं, जो विभिन्न मुद्दों को लेकर अदालत में लंबित हैं।


अदालत का फैसला सुरक्षित रखना

अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मामले का फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब यह देखना होगा कि उच्च न्यायालय आगे क्या कदम उठाता है और राज्य सरकार को आदेशों का पालन करने के लिए क्या निर्देश जारी करता है।


हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार के प्रधान सचिव पर जुर्माना लगाना और इस मामले में कड़ी टिप्पणी करना सरकार के रवैये के खिलाफ एक महत्वपूर्ण संदेश है। यह मामला सिर्फ एक कानूनी विवाद नहीं, बल्कि सरकारी नीतियों और कर्मचारियों के अधिकारों के अनुपालन से जुड़ा हुआ है। अदालत ने सरकार को यह साफ संदेश दिया है कि वह अपने आदेशों का पालन करे और याचिकाकर्ताओं को समय पर न्याय मिले, ताकि राज्य की न्यायिक प्रक्रिया में देरी न हो और सरकारी कामकाज में पारदर्शिता बनी रहे।

हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें

ताज़ा खबरों और अपडेट्स के लिए अभी हमारे WhatsApp ग्रुप का हिस्सा बनें!

Join WhatsApp Group

आपकी राय, हमारी शक्ति!
इस खबर पर आपकी प्रतिक्रिया साझा करें


[web_stories title="false" view="grid", circle_size="20", number_of_stories= "7"]