रामपुर बुशहर में आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय लवी मेले के तहत इस वर्ष 1 से 3 नवंबर तक अश्व प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा। यह प्रदर्शनी हिमाचल की पारंपरिक अश्व नस्ल चामुर्थी के संरक्षण और व्यापार को प्रोत्साहित करेगी।
शिमला।
लवी मेला: परंपरा और व्यापार का संगम
अंतर्राष्ट्रीय लवी मेला हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के रामपुर बुशहर में 17वीं शताब्दी से आयोजित होता आ रहा है। यह मेला बुशहर के तत्कालीन राजा और तिब्बती शासकों के बीच हुई व्यापार संधि का प्रतीक है। मेले में वस्तुओं के साथ-साथ पशुधन का व्यापार भी प्रमुख आकर्षण रहा है। ‘लवी’ शब्द ‘लोवी’ से निकला है, जिसका अर्थ ऊन काटना है।
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चामुर्थी घोड़े: ठंडे रेगिस्तान के जहाज
तिब्बत पठार से उत्पन्न चामुर्थी नस्ल के घोड़े अत्यधिक ठंडे इलाकों में अपनी सहनशक्ति और मजबूती के लिए जाने जाते हैं। इनके मुख्य प्रजनन क्षेत्र लाहौल-स्पीति की पिन घाटी और किन्नौर की भाभा घाटी हैं। इन घोड़ों की ऊँचाई पर चलने की क्षमता और कम ऑक्सीजन वाले क्षेत्रों में टिके रहने की शक्ति इन्हें विशिष्ट बनाती है।
1 से 3 नवंबर तक होगा आयोजन
इस वर्ष 1 नवंबर से 3 नवंबर, 2025 तक रामपुर बुशहर में अश्व मंडी एवं हॉर्स शो आयोजित किया जाएगा। पहले दिन घोड़ों का पंजीकरण होगा, दूसरे दिन अश्वपालकों के लिए जागरूकता शिविर और किसान गोष्ठी आयोजित की जाएगी। समापन दिवस 3 नवंबर को 400 और 800 मीटर की घुड़दौड़, गुब्बारा फोड़ प्रतियोगिता और पुरस्कार वितरण समारोह होंगे।
स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा संबल
इस आयोजन का उद्देश्य इन मूल्यवान अश्व प्रजातियों के संरक्षण के साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना है। हर वर्ष उत्तराखंड, उत्तरकाशी सहित पड़ोसी राज्यों से खरीदार बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं। इस बार जिला प्रशासन ने पड़ोसी राज्यों को भी आमंत्रित करने का निर्णय लिया है, जिससे इस प्रदर्शनी को और व्यापक रूप मिलेगा।
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