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अब 5वीं और 8वीं की परीक्षाओं में फेल होंगे छात्र! शिक्षा मंत्रालय ने बदले नियम

हिमाचलनाउ डेस्क | 24 दिसंबर 2024 at 12:09 am

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Himachalnow / Delhi

शिक्षा मंत्रालय ने स्कूलों के लिए नियमों में बड़े बदलाव किए हैं। अब कक्षा 5वीं और 8वीं में फेल छात्रों को प्रमोट नहीं किया जाएगा। यह बदलाव राइट टू चिल्ड्रेन टू फ्री एंड कंपल्सरी एजुकेशन एक्ट 2009 (RTE Act 2009) में संशोधन के तहत किया गया है।


क्या है नया नियम?

फेल छात्रों को नहीं मिलेगा प्रमोशन

संशोधित नियमों के अनुसार, अब स्कूल कक्षा 5वीं और 8वीं में फेल हुए छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट करने के लिए बाध्य नहीं होंगे।

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  • पिछले प्रावधान: पहले छात्रों को कक्षा 8वीं तक किसी भी स्थिति में फेल नहीं किया जा सकता था।
  • नया बदलाव: 2019 में किए गए संशोधन के आधार पर अब राज्यों को छात्रों को फेल करने का अधिकार दिया गया है।

दो महीने बाद फिर से परीक्षा का मौका

यदि कोई छात्र कक्षा 5वीं और 8वीं की नियमित परीक्षा में फेल होता है, तो उसे:

  1. अतिरिक्त निर्देश दिए जाएंगे।
  2. दो महीने बाद दोबारा परीक्षा देने का मौका मिलेगा।
  3. यदि छात्र दूसरी परीक्षा में भी पास नहीं होता, तो उसे उसी कक्षा में रोक दिया जाएगा।

स्कूलों के लिए क्या हैं निर्देश?

फेल छात्रों के लिए विशेष प्रावधान

आरटीई एक्ट के तहत स्कूलों को कुछ खास कदम उठाने होंगे:

  • फेल छात्रों की सूची तैयार करना।
  • छात्रों के सीखने के अंतराल की पहचान करना।
  • पास हुए छात्रों के लिए विशेष शिक्षा इनपुट प्रदान करना।
  • प्रधानाचार्यों को इन प्रावधानों की निगरानी व्यक्तिगत रूप से करनी होगी।

बच्चों को स्कूल से नहीं निकाला जाएगा

भले ही छात्र फेल हो जाए, आरटीई एक्ट यह सुनिश्चित करता है कि:

  • कक्षा 8 तक किसी भी बच्चे को स्कूल से नहीं निकाला जाएगा।

किन राज्यों ने पहले से लागू किया यह नियम?

कई राज्यों ने पहले ही कक्षा 5वीं और 8वीं में फेल छात्रों को रोकने के फैसले को लागू किया है:

  • नियम लागू करने वाले राज्य:
    • मध्य प्रदेश
    • गुजरात
    • झारखंड
    • ओडिशा
    • कर्नाटक
    • दिल्ली
  • कर्नाटक का मामला:
    मार्च 2024 में कर्नाटक हाई कोर्ट ने कक्षा 5, 8, 9 और 11 के लिए अनिवार्य परीक्षा आयोजित करने के प्रयास को रद्द कर दिया था।
  • केरल का अपवाद: केरल सरकार कक्षा 5 और 8 में परीक्षाओं के खिलाफ है।

“नो-डिटेंशन पॉलिसी” क्या थी?

पॉलिसी का उद्देश्य

आरटीई एक्ट के मूल संस्करण में “नो-डिटेंशन पॉलिसी” लागू थी।

  • इसके तहत छात्रों को कक्षा 8 तक फेल नहीं किया जा सकता था।
  • पॉलिसी का उद्देश्य था कि कोई भी छात्र स्कूल छोड़ने पर मजबूर न हो।

राज्यों का विरोध

हालांकि, कई राज्यों ने इस पॉलिसी को हटाने का समर्थन किया।

  • राज्यों का तर्क था कि इससे छात्र बोर्ड परीक्षाओं के लिए तैयार नहीं हो पाते।
  • इसके कारण कक्षा 10 में फेल छात्रों की संख्या बढ़ने लगी।

संसद द्वारा संशोधन

2019 में बदलाव

मार्च 2019 में संसद ने RTE एक्ट में संशोधन पारित किया:

  • राज्यों को कक्षा 5 और 8 में नियमित परीक्षाएं आयोजित करने की अनुमति दी गई।
  • “नो-डिटेंशन पॉलिसी” को खत्म कर दिया गया।

CABE की बैठक

2015 में केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (CABE) की बैठक में, 28 में से 23 राज्यों ने “नो-डिटेंशन पॉलिसी” को खत्म करने का आह्वान किया था।


निष्कर्ष

शिक्षा मंत्रालय का यह बदलाव छात्रों की शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार लाने और उन्हें अधिक जिम्मेदार बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। हालांकि, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि राज्यों और स्कूलों द्वारा इस नीति का क्रियान्वयन किस तरह से किया जाता है। छात्रों को फेल करने का उद्देश्य केवल उन्हें रोकना नहीं, बल्कि उनकी शिक्षा को सुदृढ़ करना है।

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