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अब जमीन के ऊपर उगाया जाएगा आलू, धौलाकुआं के वैज्ञानिकों का सफल प्रयोग

हिमांचलनाउ डेस्क नाहन | 7 फ़रवरी 2025 at 5:20 pm

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Himachalnow / नाहन

हिमाचल में पहली बार बिना मिट्टी के उगाया गया आलू , उत्पादन में मिली सफलता

नई तकनीक से आलू उत्पादन में क्रांतिकारी बदलाव

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हिमाचल प्रदेश में आलू उत्पादन के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव आया है। अब आलू को जमीन के नीचे नहीं बल्कि ऊपर उगाया जाएगा। इस नई तकनीक से खेती करने के लिए न तो खेत की जुताई की जरूरत होगी और न ही अधिक सिंचाई की आवश्यकता पड़ेगी। कृषि विज्ञान केंद्र धौलाकुआं के वैज्ञानिकों ने इस प्रयोग को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। इस तकनीक में पराली का उपयोग किया गया, जिससे न केवल लागत में कमी आई बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित रखा गया।

नीलकंठ और संगम किस्मों पर हुआ सफल प्रयोग

वैज्ञानिकों ने इस तकनीक को कुफरी नीलकंठ और कुफरी संगम किस्मों के आलू पर आज़माया। इस प्रयोग को सिरमौर जिले के कृषि विज्ञान केंद्र धौलाकुआं में आधा हेक्टेयर भूमि पर सफलतापूर्वक पूरा किया गया। खास बात यह है कि यह पूरी तरह से प्राकृतिक विधि से किया गया और उत्पादन में किसी प्रकार की कमी नहीं आई।

पराली के इस्तेमाल से खेती को नया आयाम

इस तकनीक में धान की कटाई के बाद नमीयुक्त खेत में आलू को सीधे जमीन के ऊपर रखा गया और उसे पराली से ढक दिया गया। इसके बाद घनजीवामृत और जीवामृत का छिड़काव किया गया, जिससे किसी प्रकार की रासायनिक खादों की आवश्यकता नहीं पड़ी। इस विधि से खरपतवार की समस्या भी पूरी तरह समाप्त हो गई।

सिंचाई और श्रम लागत में भारी बचत

इस तकनीक के माध्यम से सिर्फ तीन बार सिंचाई की आवश्यकता पड़ी, जबकि पारंपरिक खेती में आठ से दस बार पानी देना आवश्यक होता है। इससे न केवल पानी की बचत हुई बल्कि किसानों का समय और श्रम लागत भी कम हुई। यदि बारिश हो जाए तो सिंचाई की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।

खुदाई की जरूरत नहीं, ग्रेडिंग भी आसान

इस विधि में आलू की पूरी फसल जमीन के ऊपर होती है, जिससे न तो खुदाई करनी पड़ती है और न ही कटने-फटने की समस्या होती है। फसल तैयार होने के बाद ग्रेडिंग करना भी आसान हो जाता है।

पराली जलाने की समस्या से मिलेगा समाधान

इस तकनीक के जरिए पराली का सही उपयोग किया गया, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली समस्या को हल किया जा सकेगा। वैज्ञानिकों ने इसे कार्बन न्यूट्रल फार्मिंग का बेहतरीन उदाहरण बताया है।

हर किस्म के आलू का उत्पादन संभव

इस विधि से आलू की हर किस्म उगाई जा सकती है। इसमें न तो मेढ़ और नाली बनाने की जरूरत होगी और खरपतवार नाशकों का उपयोग भी नहीं करना पड़ेगा। इससे लेबर, मशीनों और ट्रैक्टर की आवश्यकता भी खत्म हो जाएगी।

आलू की नई किस्में स्वास्थ्य के लिए लाभदायक

कुफरी नीलकंठ किस्म के आलू में एंटीऑक्सीडेंट, कैरोटिन और एंथोसाइनिन जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, इस शोध से किसानों को काफी फायदा होगा और उनके उत्पादन में वृद्धि होगी।

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