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कल जया एकादशी के दिन करें विष्णु चालीसा पाठ, बरसेगी भगवान विष्णु की कृपा

हिमाचलनाउ डेस्क | 7 फ़रवरी 2025 at 6:51 pm

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सनातन धर्म में जया एकादशी का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत रखने और विधिपूर्वक भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। विशेष रूप से विष्णु चालीसा का पाठ करने से भगवान श्रीहरि की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। आइए जानते हैं इस वर्ष जया एकादशी कब पड़ रही है, इसका महत्व और विष्णु चालीसा के पाठ का लाभ।


जया एकादशी 2025: तिथि और शुभ संयोग

📅 तिथि: माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी
🕰️ तिथि प्रारंभ: 7 फरवरी 2025, शुक्रवार रात 9:26 बजे
🕰️ तिथि समाप्ति: 8 फरवरी 2025, शनिवार रात 8:15 बजे
📌 व्रत पालन की तिथि: 8 फरवरी 2025 (उदयातिथि के अनुसार)

🔹 इस वर्ष के खास योग

  • 🌟 मृगशिरा नक्षत्र और वैधृति योग का संयोग
  • इन शुभ योगों में विष्णु चालीसा का पाठ करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।
  • इससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सफलता मिलती है।

🔱 जया एकादशी का महत्व

1️⃣ मृत्यु के बाद बैकुंठ की प्राप्ति

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी व्यक्ति जया एकादशी का व्रत रखता है और भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसे मृत्यु के बाद बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है।

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2️⃣ पापों से मुक्ति और मोक्ष

पुराणों में कहा गया है कि इस दिन व्रत करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

3️⃣ सफलता और सुख-समृद्धि

इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।


📖 विष्णु चालीसा पाठ का महत्व

जया एकादशी पर विष्णु चालीसा का पाठ करने से:
✅ भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
✅ जीवन में सभी तरह की नकारात्मकता दूर होती है।
✅ मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
✅ सभी कार्य सफल होते हैं और बाधाएं दूर होती हैं।

🛕 विष्णु चालीसा पाठ करने की विधि

1️⃣ प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2️⃣ भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने दीपक जलाएं।
3️⃣ चंदन, फूल और तुलसी पत्र अर्पित करें।
4️⃣ संकल्प लेकर विष्णु चालीसा का पाठ करें।
5️⃣ अंत में भगवान से सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।

विष्णु चालीसा

दोहा

विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाए।

कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताए॥

चौपाई

नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी।
प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी॥
सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत।
तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजंती माला मन मोहत॥
शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे।
सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे॥
सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन।
सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन॥
पाप काट भव सिंधु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण।
करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण॥
धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा।
भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा॥
आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया।
धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया॥
अमिलख असुरन द्वंद मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया।
देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया॥
कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया।
शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया॥
वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुंढवाया।
मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया॥
असुर जलंधर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लड़ाई।
हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई॥
सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी।
तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृंदा की सब सुरति भुलानी॥
देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आए तुम्हें लपटानी।
हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी॥


जया एकादशी 2025 पर व्रत रखने और विष्णु चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता आती है। इस खास दिन को पूरी श्रद्धा के साथ मनाएं और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करें।

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