‘मुख्यमंत्री पर्यटन स्टार्टअप योजना से युवाओं को मिलेगा स्वरोजगार’, क्या सिरमौर के भी खुलेंगे भाग?
शिमला/सिरमौर:
हिमाचल प्रदेश में पर्यटन क्षेत्र को नई गति देने और युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने की दिशा में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की ‘मुख्यमंत्री पर्यटन स्टार्टअप योजना’ लागू हो गई है।
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पर्यटन विभाग ने शुक्रवार को इस योजना की अधिसूचना जारी कर दी है, जिसके साथ ही होमस्टे इकाइयों पर आकर्षक ब्याज सब्सिडी देने का रास्ता साफ हो गया है।
यह योजना राज्य में उद्यमिता को बढ़ावा देने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई है। इसके तहत, होमस्टे के लिए ऋण लेने वाले युवाओं को क्षेत्रानुसार ब्याज में राहत मिलेगी:
- शहरी क्षेत्रों में: 3 प्रतिशत
- ग्रामीण क्षेत्रों में: 4 प्रतिशत
- जनजातीय क्षेत्रों में: 5 प्रतिशत
यह आर्थिक प्रोत्साहन युवाओं को होमस्टे जैसे उद्यम स्थापित करने के लिए प्रेरित करेगा।
2 करोड़ तक का ऋण कवर, मगर सिरमौर का क्या?
योजना के तहत, डायमंड और गोल्ड श्रेणी के होमस्टे के लिए अधिकतम 2 करोड़ रुपये, जबकि सिल्वर श्रेणी के लिए 1 करोड़ रुपये तक के ऋण को कवर किया जाएगा। पात्रता के लिए, आवेदक का बोनाफाइड हिमाचली होना अनिवार्य है।
हालांकि, इन सकारात्मक घोषणाओं के बावजूद, एक बड़ा सवाल जिला सिरमौर को लेकर खड़ा है। यह ऐतिहासिक और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर जिला है, जहाँ रेणुका जी, चूड़धार, हरिपुरधार और शिलाई जैसे अनछुए पर्यटन स्थल मौजूद हैं।
विडंबना यह है कि हिमाचल में रही कोई भी सरकार इन आकर्षक पर्यटन स्थलों का दोहन कर पाने में सफल नहीं रही। परिणाम स्वरूप, पर्यटन के मानचित्र पर सिरमौर दशकों से उपेक्षित रहा है।
हमेशा से रही सिरमौर की अनदेखी
होमस्टे योजनाओं को लेकर भी सिरमौर की अनदेखी हमेशा चर्चा का विषय रही है। ऐसे में, जब सरकार 4 प्रतिशत की ब्याज सब्सिडी ग्रामीण क्षेत्रों के लिए दे रही है, तो सिरमौर के युवाओं और उद्यमियों में यह उम्मीद जगी है कि अब शायद उन्हें भी इस योजना का भरपूर लाभ मिलेगा।
स्थानीय जानकारों का मानना है कि यदि सरकार अब इस योजना का लाभ सिरमौर के युवाओं तक सक्रियता से पहुंचाती है, तो न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, बल्कि उपेक्षित पड़े इन पर्यटन स्थलों के भाग भी खुलेंगे, और वे राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर अपनी जगह बना पाएंगे।
अब देखना यह है कि ऋण वितरण की मानक प्रक्रिया और त्रैमासिक आधार पर मिलने वाली सब्सिडी का लाभ सिरमौर के युवा कितनी तेजी से उठा पाते हैं। तो वहीं दूसरा सबसे बड़ा सवाल पर्यटन विभाग की कार्य प्रणाली को लेकर उठाता है उनकी योजनाओं में आखिरकार सिरमौर को प्रमुखता क्यों नहीं दी गई है।
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