प्रदेश सरकार ने राज्य की सांस्कृतिक धरोहरों, मंदिरों और धार्मिक स्थलों के संरक्षण व उन्नयन पर बड़ा फोकस किया है। डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि इन प्रयासों पर 550 करोड़ रुपये व्यय किए जा रहे हैं।
शिमला
प्राचीन मंदिरों और किलों के लिए विशेष बजट
प्रदेश सरकार ने प्राचीन मंदिरों, किलों और पुरातात्विक स्थलों के संरक्षण हेतु 50 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। इसमें से अधिगृहीत मंदिरों को 37 करोड़ रुपये का सहायता अनुदान प्रदान किया गया है।
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चिंतपूर्णी मंदिर में आधुनिक सुविधाएं
श्रद्धालुओं के लिए चिंतपूर्णी मंदिर में सुगम दर्शन, ऑनलाइन लंगर बुकिंग, और डिजिटल सेवाएं शुरू की गई हैं। 56.26 करोड़ रुपये की राशि प्रसाद योजना के तहत स्वीकृत की गई है, जिससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
भव्य भवनों का निर्माण और निवेश
माता चिंतपूर्णी मंदिर में 250 करोड़ रुपये की लागत से भव्य भवन निर्माण कार्य हो रहा है। ज्वालाजी और नैना देवी मंदिरों के लिए 100-100 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई है।
पुजारियों को ऑनलाइन प्रशिक्षण
शुद्ध पूजा विधि सुनिश्चित करने हेतु चिंतपूर्णी और नैना देवी मंदिर के पुजारियों को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण दिया गया है। भविष्य में अन्य मंदिरों के पुजारियों को भी प्रशिक्षण मिलेगा।
धार्मिक संस्थानों के लिए वित्तीय सहयोग
धार्मिक संस्थानों को 11.16 करोड़ रुपये अनुरक्षण सहायता और 1 करोड़ रुपये की आवर्ती निधि सहायता प्रदान की गई है। छोटे मंदिरों को दी जाने वाली धूप-बत्ती सहायता को दोगुना किया गया है।
राज्य की सांस्कृतिक पहचान का संरक्षण
सरकार केवल संरचनात्मक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक चेतना और परंपरा के रूप में आस्था केंद्रों का संरक्षण कर रही है। पूजा पद्धति में गुणवत्ता और डिजिटल सुविधा का विस्तार भी किया जा रहा है।
हिमाचल की सांस्कृतिक धरोहर को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान
सरकार लोक कलाओं, शिल्प, संगीत, रीति-रिवाजों को सांस्कृतिक उत्सवों, डिजिटल माध्यमों और प्रदर्शनियों के ज़रिये देश और दुनिया तक पहुंचाएगी। इससे युवाओं में अपनी परंपरा के प्रति गर्व और जुड़ाव बढ़ेगा।
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