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HRTC चालक-परिचालकों को मिलेगी डेढ़ साल बाद वर्दी, अगस्त से शुरू होगा आवंटन

Shailesh Saini | 26 जुलाई 2025 at 12:08 am

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प्रदेश के 8500 कर्मचारियों के लिए खरीदी जाएगी 26000 मीटर स्टील ग्रे वर्दी

हिमाचल नाऊ न्यूज़ शिमला/नाहन

सिरमौर हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम (HRTC) के चालकों और परिचालकों का डेढ़ साल से अधिक समय से वर्दी का इंतजार अब खत्म होने वाला है। निगम ने वर्दी खरीद में हुई देरी से संबंधित सभी औपचारिकताओं को लगभग पूरा कर लिया है, और उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, अगस्त माह की शुरुआत में ही वर्दी आवंटन प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

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वर्दी मिलने में देरी की मुख्य वजह टेक्सटाइल द्वारा भरे जाने वाले टेंडर और निगम के पास टेक्सटाइल इंजीनियर का न होना बताया जा रहा था। टेंडर प्रक्रिया में टेक्सटाइल इंजीनियर की अहम भूमिका होती है।

इस समस्या के समाधान के लिए, सरकार के आदेशों पर निगम ने अन्य विभागों से टेक्सटाइल इंजीनियर बुलाकर टेंडर प्रक्रिया की औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं। HRTC जल्द ही वर्दी के टेंडर आमंत्रित करेगा और माना जा रहा है कि अगस्त माह तक इस प्रक्रिया को पूरा कर वर्दी का आवंटन भी शुरू कर दिया जाएगा।

प्रदेश में कुल 8500 चालक-परिचालक हैं, जिन्हें डेढ़ साल से भी अधिक समय से नई वर्दी नहीं मिली है। गौरतलब है कि मोटर वाहन अधिनियम 22 (3) के तहत चालक और परिचालक को वर्दी के साथ-साथ छाती पर अपनी नाम पट्टिका लगाना भी अनिवार्य है।

लंबे समय से कर्मचारी फटी-पुरानी वर्दी में ही काम चला रहे थे, जिससे उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। कई बार तो दूसरे राज्यों में चालान भी हो जाते थे।

वर्दी मिलने में हो रही इस देरी को लेकर चालक-परिचालकों में काफी रोष भी था।नियमों के अनुसार, HRTC में कार्यरत चालक और परिचालकों को हर छह महीने में नई वर्दी दी जाती है।

विडंबना यह भी है कि जहां एक गर्मी की वर्दी के लिए 3 मीटर कपड़े की जरूरत होती है, वहीं कर्मचारियों को केवल 2.70 मीटर कपड़ा ही मिलता था।निगम 8500 कर्मचारियों के लिए करीब 26000 मीटर खाकी वर्दी का कपड़ा खरीदेगा। एक चालक अथवा परिचालक की वर्दी की सिलाई पर 1000 रुपये का खर्च आता है।

इस प्रकार, पूरे प्रदेश के चालकों और परिचालकों की वर्दी की सिलाई पर लगभग 8 लाख 50 हजार रुपये का खर्च आएगा। जानकारी तो यह भी है कि चालक परिचालक को वर्दी की सिलाई का खर्चा नहीं मिलता है।HRTC के एमडी डॉ. निपुण जिंदल ने इस मामले पर बात करते हुए स्वीकार किया कि वर्दी मिलने में देरी हुई है।

उन्होंने बताया कि कॉरपोरेशन के पास टेक्सटाइल इंजीनियर नहीं था, जो टेंडर प्रक्रिया में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस समस्या का समाधान कर लिया गया है और बहुत जल्द ही वर्दी आवंटन प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

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