Himachalnow / शिमला
हिमाचली सेब की धूम : जम्मू-कश्मीर और लेह-लद्दाख से रूट स्टॉक और ग्राफ्टेड प्लांट्स की पहली बड़ी डिमांड
प्रदेश के बागवानी प्रयासों को राष्ट्रीय पहचान
हिमाचल प्रदेश उद्यान विभाग ने इस बार विंटर सीजन में सेब के रूट स्टॉक और ग्राफ्टेड प्लांट्स की रिकॉर्ड डिमांड को पूरा करने के लिए विशेष तैयारियां की हैं। यह मांग न केवल प्रदेश के भीतर, बल्कि जम्मू-कश्मीर और लेह-लद्दाख जैसे केंद्र शासित प्रदेशों से भी आई है। विभाग ने जम्मू-कश्मीर के लिए 1.26 लाख रूट स्टॉक और लेह-लद्दाख के लिए 3040 ग्राफ्टेड प्लांट्स भेजने की योजना तैयार की है। बागवानी विभाग के निदेशक विनय सिंह ने बताया कि ये प्लांट्स विदेशी नस्ल के हैं और इन्हें विशेष तौर पर रोग और वायरस मुक्त बनाया गया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल के बागवानों को उन्नत पौध सामग्री उपलब्ध कराना विभाग का मुख्य उद्देश्य है।
प्रदेश में इस बार कुल 4.32 लाख ग्राफ्टेड प्लांट्स और 5 लाख से अधिक रूट स्टॉक के आवंटन का लक्ष्य रखा गया है। इसके तहत शिमला, कुल्लू, सिरमौर और मंडी जैसे जिलों से भी अच्छी मांग दर्ज की गई है। शिमला जिला ने सबसे ज्यादा 1,08,680 ग्राफ्टेड प्लांट्स की मांग की है। इसके अतिरिक्त कुल्लू, सिरमौर, किन्नौर और चंबा जिलों से भी बड़ी संख्या में मांग आई है।
सेब उत्पादन में नई तकनीकों की सफलता
हिमाचल प्रदेश ने बागवानी क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। वर्ष 2016 में विश्व बैंक पोषित एचपी नर्सरी मैनेजमेंट सोसायटी की स्थापना के बाद प्रदेश में विदेश से उच्च गुणवत्ता वाले पौधों को आयात किया गया। इनसे तैयार ग्राफ्टेड प्लांट्स तीसरे वर्ष से ही फल देना शुरू कर देते हैं। यह तकनीक न केवल समय बचाती है, बल्कि बागवानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाती है।
प्रदेश में सिरमौर, कुल्लू, शिमला, मंडी और किन्नौर जिलों में उन्नत पौधशालाएं स्थापित की गई हैं। सिरमौर में सबसे अधिक पौधशालाएं संचालित हो रही हैं। इन पौधशालाओं में एम-9 और एमला-9 जैसे विदेशी नस्ल के प्लांट्स को तैयार किया जा रहा है। प्रदेश सरकार ने बागवानी क्षेत्र में इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए 5 करोड़ से अधिक रूट स्टॉक और पौधों के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने की पहल
हाल ही में दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित हॉर्टिकल्चर अंतरराष्ट्रीय एक्सपो में हिमाचल प्रदेश के बागवानी विभाग ने अपनी विशेष भागीदारी दिखाई। इस एक्सपो में हिमाचल के सेब, नाशपाती, आड़ू और प्लम जैसे फलों की गुणवत्ता को लेकर देशभर के प्रतिनिधियों ने प्रशंसा की। इसी के परिणामस्वरूप जम्मू-कश्मीर, लेह-लद्दाख और नॉर्थ ईस्ट राज्यों से हिमाचली रूट स्टॉक और ग्राफ्टेड पौधों की बड़ी मांग प्राप्त हुई।
बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि सरकार का लक्ष्य हिमाचली फलों को न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना है। उन्होंने बताया कि राजगढ़ पीच वैली के आड़ू को एशिया में नंबर वन का दर्जा हासिल है और अब अन्य फलों को भी इस स्तर पर पहुंचाने की योजना बनाई जा रही है। हिमाचल के बागवानी प्रयास न केवल प्रदेश की आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं, बल्कि अन्य राज्यों को भी आधुनिक और उन्नत बागवानी तकनीक अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
उद्यान विभाग ने यह भी बताया कि भविष्य में नोर्थ ईस्ट राज्यों और अन्य हिस्सों में हिमाचल के सेब, नाशपाती, प्लम और आड़ू की मांग को बढ़ाने के लिए एक विशेष योजना पर काम हो रहा है। इससे न केवल बागवानों को बेहतर आय प्राप्त होगी, बल्कि हिमाचली फलों की लाली पूरे देश में बिखरेगी।