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हाटी कोई जाति ही नहीं और न राजस्व रिकार्ड में दर्ज, तो जनजाति दर्जा कैसे- अनिल

PARUL | 21 अक्तूबर 2023 at 4:48 pm

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गुर्जर कल्याण परिषद द्वारा ली गई आरटीआई से हुआ बड़ा खुलासा, प्रदेश में बिगड़ेंगे भाजपा के हालात

HNN/नाहन

गिरी पार क्षेत्र के विशेष वर्ग को दिए गए ट्राइब दर्जा को लेकर एक बार फिर गुर्जर समाज बिफर गया है। जिला सहित पूरे प्रदेश का गुर्जर वर्ग केंद्र सरकार के खिलाफ एक बड़ा मोर्चा खोलने की तैयारी में लग गया है। नए तथ्यों और आरटीआई से ले गए सबूतों के बाद गुर्जर कल्याण परिषद जिला सिरमौर आज मीडिया से रूबरू हुई। जिसमें उन्होंने कहा कि हाटी कोई जाति नहीं और न ही इसका राजस्व रिकार्ड में कोई जिक्र है। जब हाटी नाम का कोई समुदाय नहीं, कोई इतिहास और सामाजिक अस्तित्व नहीं तो फिर इसे जनजाति कैसे घोषित किया गया, ये बड़ा सवाल आज पत्रकार वार्ता में गुर्जर कल्याण परिषद द्वारा उठाया गया है ।

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पदाधिकाधिकारियों ने साफ कहा कि आरजीआई भी इस मामले को तीन बार अस्वीकार कर चुकी थी। बावजूद इसके हाटी को जनजातीय दर्जा मिला। ये सीधा-सीधा गुर्जरों के अधिकारियों का हनन है। नाहन में युवा गुर्जर स्वाभिमान संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष अनिल गोरसी, सिरमौर गुर्जर कल्याण परिषद के उपाध्यक्ष हेमराज और महासचिव सोमनाथ भाटिया ने कहा कि तथाकथित हाटी समुदाय को दिया आरक्षण संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है।

लोकुर कमेटी के मापदंडों को भी तथाकथित हाटी समुदाय पूरा नहीं करता। सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए उन्हें एसटी बनाया जा रहा है। उन्होंने आरटीआई से सारी जानकारी जुटाई है। सभी तथ्य उनके पास मौजूद हैं। आरटीआई से जुटाए तथ्यों में भी हाटी जाति या समुदाय राजस्व या किसी अन्य सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है। ऐसे में अधिसूचना को कैसे लागू किया जाएगा। अनिल गोर्सी ने कहा कि उनके द्वारा जो आरटीआई से जानकारी ली गई है उसमें कहीं भी हाटी कोई जाति आदि का उल्लेख है।

उन्होंने कहा कि भाजपा ने सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए और दलित वर्ग के साथ रचे गए षड्यंत्र मैं उनके हकों को छीनने तथा गुर्जरों को बांटने का खेल खेला गया है। जिसे हरगिज बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अभी उनका भरोसा न्यायपालिका पर पूरा है और माननीय न्यायालय से ही वह इस जंग को अंतिम तौर पर जीत के दिखाएंगे। अब हाटी नेता कह रहे हैं कि राजस्व रिकॉर्ड को बदल कर तथाकथित हाटी समुदाय को दर्ज किया जाए जो कि अनैतिक, असांविधानिक और गैर कानूनी है। इसका परिषद घोर विरोध करती है।

अनिल गोरसी ने कहा कि जैसे केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर में पहाड़ी समुदाय को एसटी में डालने वाले विधेयक को गुज्जर बकरवाल समुदाय के विरोध के बाद वापस लिया, उसी तर्ज पर हिमाचल की जनजातियों के अधिकारों के संरक्षण के लिए हाटी आरक्षण पर भी केंद्र सरकार पुनर्विचार करे।

बरहाल गुर्जर का मामला अब अकेले इन्हीका नहीं रह जाएगा माना जा रहा है कि जुब्बल और चौपाल क्षेत्र के लोग भी रीति रिवाज के हिसाब से खुद के लिए ट्राइब की मांग करने की तैयारी में लग गए हैं। यही नहीं किन्नर और लाहौल स्पीति के लोग भी संपन्न क्षेत्र के लोगों को वह भी स्वर्ण वर्ग के लोगों को आरक्षण का लाभ दिए जाने को लेकर बीजेपी के खिलाफ लाम बंद होना शुरू हो रहे हैं।

मौजूदा समय केंद्र के द्वारा हाटी नाम पर जो आरक्षण का लाभ देने का प्रयास किया गया है निश्चित ही 2024 के लोकसभा चुनाव में कम से कम शिमला संसदीय क्षेत्र के चुनाव परिणाम भाजपा के फेबर में जाते नजर नहीं आएंगे।

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