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हिमाचल की धरती पर छत्रधारी चालदा महासू महाराज का भव्य प्रवेश, सिरमौर में उमड़ा आस्था का महाकुंभ​

Shailesh Saini | 13 दिसंबर 2025 at 9:12 pm

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नाहन।

उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के लाखों लोगों के आराध्य देव और कुल देवता छत्रधारी चालदा महासू महाराज ने शनिवार शाम, करीब छह बजे, टौंस नदी पर बने मिनस पुल को पार कर उत्तराखंड से हिमाचल प्रदेश की सिरमौर सीमा में पहली बार भव्य प्रवेश किया।

महाराज के आगमन के दौरान सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र में आस्था का ऐसा सैलाब उमड़ा कि मिनस में हजारों श्रद्धालुओं का विशाल जनसमूह जुट गया।​भव्य स्वागत और धार्मिक रीति-रिवाज​जिला सिरमौर की सीमा में प्रवेश करते ही पारंपरिक ढोल-नगाड़ों, पटाखों और ज़ोरदार आतिशबाजी के साथ वैदिक मंत्रोच्चारण व पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ महाराज का ज़ोरदार स्वागत किया गया।

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जैसे ही महाराज की पालकी हिमाचल की सरजमीं पर उतरी, उन्हें कंधा देने वाले कारदार भी बदल गए। उत्तराखंड से पालकी लेकर आए कारदारों के स्थान पर, हिमाचल की सीमा से पश्मी गाँव के कारदारों ने श्रद्धापूर्वक पालकी को अपने कंधों पर उठाया।

मिनस में केवल सिरमौर ही नहीं, बल्कि शिमला जिले के जुब्बल, कोटखाई, रोहड़ू, चौपाल, नेरवा और सिरमौर के सतौन, शिलाई, पांवटा साहिब जैसे दूर-दराज के क्षेत्रों से आए हजारों भक्तों ने महाराज का आशीर्वाद प्राप्त किया।​

पहला पड़ाव और उत्सव का माहौल​मिनस से शुरू हुई यह भव्य देव यात्रा रात को द्राबिल पहुँची, जहाँ चालदा महासू महाराज ने हिमाचल में अपना पहला पड़ाव लिया। द्राबिल में मंत्रोच्चारण के साथ विशेष पूजा-अर्चना की गई और रात भर कीर्तन का आयोजन चला।

महासू महाराज मंदिर समिति और ग्रामीणों द्वारा पचास हजार लोगों के लिए विशाल भंडारे की व्यवस्था की गई थी। ठंड को देखते हुए भक्तों के लिए कई किलोमीटर तक टेंट लगाए गए और लकड़ी के अलाव जलाए गए, ताकि भक्तजन रात भर महाराज का जागरण कर सकें।​

रविवार सुबह पूजा-अर्चना के बाद महाराज की देव यात्रा पश्मी गाँव के लिए शुरू होगी। रविवार देर शाम को चालदा महासू महाराज पश्मी गाँव में करीब दो करोड़ रुपये की लागत से बने नवनिर्मित मंदिर में विधिवत रूप से विराजमान होंगे।

अगले एक वर्ष तक महाराज इसी मंदिर में निवास करेंगे। इस दौरान मंदिर समिति यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं के लिए ठहरने और भंडारे की व्यवस्था करेगी। इसी वर्ष के बीच में महाराज अगले स्थान पर जाने की घोषणा भी करेंगे।​

शताब्दियों बाद मिला सांस्कृतिक सौभाग्य​पश्मी गाँव में इस समय उत्सव जैसा माहौल है। ग्रामीणों ने कहा कि यह केवल धार्मिक अवसर नहीं, बल्कि शताब्दियों बाद मिलने वाला सांस्कृतिक सौभाग्य है।

अगले वर्षों तक बिशु, दीपावली और बसंत पंचमी जैसे सभी प्रमुख त्योहारों पर पश्मी गाँव में विशेष आयोजन होंगे, जिसमें उत्तराखंड और हिमाचल के हजारों लोग भाग लेंगे।

देव कार्य और भंडारे के सफल संचालन के लिए श्री महासू महाराज कमेटी का गठन किया गया है, जिसमें दिनेश चौहान को वज़ीर और रघुवीर सिंह को भंडारी नियुक्त किया गया है, जबकि पूजा की जिम्मेदारी पंडित आत्माराम शर्मा को सौंपी गई है।

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