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हल्दी की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों से 90 रुपये प्रति किलो की दर से सीधी खरीद करेगी सरकार

हिमांचलनाउ डेस्क नाहन | 7 अप्रैल 2025 at 7:30 pm

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हमीरपुर, कांगड़ा, बिलासपुर, सिरमौर, मंडी और सोलन में अधिक उत्पादन, स्पाइस पार्क में होगी प्रोसेसिंग

शिमला

पंजीकरण प्रपत्र हुआ जारी
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज यहां प्रदेश के किसानों से प्राकृतिक खेती पद्धति द्वारा उगाई गई हल्दी की खरीद के लिए पंजीकरण प्रपत्र जारी किया। वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में राज्य सरकार द्वारा प्राकृतिक पद्धति द्वारा उगाई गई हल्दी को 90 रुपये प्रतिकिलो के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने का प्रावधान किया गया था।

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किसानों को मिलेगा लाभ और प्रशिक्षण
यह पहल न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी प्रदान करते हुए किसानों की आर्थिकी एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के साथ ही प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देगी। कृषि विभाग द्वारा इस संबंध में किसानों का पंजीकरण किया जाएगा तथा उन्हें प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा।

‘हिमाचल हल्दी’ ब्रांड से होगी पहचान
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजीकृत किसानों से खरीदी गई कच्ची हल्दी का स्पाइस पार्क, हमीरपुर में प्रसंस्करण किया जाएगा। प्रोसेस्ट हल्दी का विपणन ‘हिमाचल हल्दी’ के ब्रांड के नाम से किया जाएगा, जो इसे बाजार में अलग पहचान प्रदान करेगा और गुणवत्ता भी सुनिश्चित होगी।

राज्य सरकार की सीधी खरीद की पहली पहल
उन्होंने बताया कि यह पहली बार होगा जब राज्य सरकार किसानों से सीधे तौर पर कच्ची हल्दी की खरीद करेगी। इससे ग्रामीण क्षेत्र की आर्थिकी को मजबूती मिलेगी और इन क्षेत्रों में रह रहे लोगों को आजीविका के अवसर भी प्राप्त होंगे।

गेहूं, मक्की और दूध पर भी MSP
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार प्राकृतिक पद्धति से उगाए गए गेहूं को 60 रुपये प्रति किलो और मक्की को 40 रुपये प्रति किलो के समर्थन मूल्य पर किसानों से खरीद रही है। इसके अतिरिक्त, राज्य सरकार द्वारा गत दो वर्षों में दूध के समर्थन मूल्य में भी 21 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की गई है। वर्तमान में गाय के दूध को 51 रुपये प्रति लीटर और भैंस के दूध को 61 रुपये प्रति लीटर के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जा रहा है।

प्रदेश में हल्दी की खेती का विस्तार
वर्तमान में प्रदेश में 2,042.5 हैक्टेयर क्षेत्र में हल्दी की खेती की जा रही है, जिससे प्रतिवर्ष लगभग 24,995 मीट्रिक टन हल्दी का उत्पादन हो रहा है। हल्दी उत्पादन में मुख्य रूप से हमीरपुर, कांगड़ा, बिलासपुर, सिरमौर, मंडी और सोलन जिला अग्रणी हैं।

हल्दी के फायदे और खेती की विशेषता
हल्दी की औषधीय महत्ता के दृष्टिगत विशेषकर कोविड-19 के उपरांत घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इसकी बढ़ती मांग के कारण यह किसानों के लिए आजीविका का एक प्रमुख विकल्प बन गई है। हल्दी की प्रमुख विशेषता यह है कि इसे जंगली जानवरों, विशेषकर बंदरों से नुकसान नहीं होता। इसकी खेती में कम श्रम की आवश्यकता होती है और कटाई के बाद इसकी शेल्फ लाइफ भी लंबी होती है। इसी कारण यह फसल किसानों की चुनौतियों के अनुरूप अत्यंत अनुकूल है।

कार्यक्रम में मौजूद अन्य अधिकारी
इस अवसर पर तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी, विधायक विनोद सुल्तानपुरी, हिमाचल प्रदेश वन विकास निगम के उपाध्यक्ष केवल सिंह खाची तथा सचिव कृषि सी. पालरासू भी उपस्थित थे।

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