HNN/ शिमला
हिमाचल में फरवरी महीने में अचानक हुई तापमान में वृद्धि किसानों को बागवानों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। बता दें अधिक तापमान से फसलों की पैदावार को काफी नुक्सान होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। बढ़ते तापमान ने किसानों और भगवानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। हिमाचल में गेहूं सहित चेरी और सेब के पेड़ों पर सूखे की मार पड़ रही है। वहीं, मौसम में आए बदलाव के कारण असिंचित इलाकों में गेहूं के उत्पादन में 30-40 फीसदी की कमी आ सकती है।
बता दें जिला सिरमौर में फरवरी में ही तापमान 25 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने लगा है। आने वाले समय में इसमें और बढ़ोतरी होगी। इस बीच यदि अच्छी बारिश नहीं हुई तो पिछले साल की तरह इस साल भी उत्पादन में गिरावट दर्ज की जा सकती है। प्रदेश में सालाना 300 से 350 मीट्रिक टन चेरी का उत्पादन होता है। इस साल सर्दियों में पर्याप्त बारिश और बर्फबारी न होने से सूखे के कारण 25 से 50 मीट्रिक टन तक चेरी उत्पादन घट सकता है।
वहीं हिमाचल में तापमान बढ़ने से फरवरी के महीने में ही बगीचों में नमी कम होने के कारण सेब के पेड़ों पर गुलाबी कलियां खिलने से बागवानों की चिंता बढ़ गई है। किसानों और बागवानों की निगाहें आसमानों पर ही टिकी हुई है कि कब बारिश की बूंदे उनके खेतों में गिरेगी।
जल शक्ति विभाग के अधिकारी कहते हैं कि तापमान बढ़ता रहा तो प्रदेश की पेयजल योजनाओं का जलस्तर घट सकता है। इस बार बारिश और बर्फबारी उम्मीद के अनुसार न होने से पानी के सोर्स रिचार्ज होने में दिक्कत होगी। तापमान तेजी से बढ़ रहा है और लोगों को मार्च मध्य से ही पानी की किल्लत से जूझना पड़ सकता है।