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सुहागिनों का अटूट विश्वास और असीम प्रेम का पर्व करवा चौथ

हिमांचलनाउ डेस्क नाहन | 10 अक्तूबर 2025 at 8:00 pm

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देश और प्रदेशभर में करवा चौथ के पर्व को लेकर महिलाओं में जबरदस्त उत्साह

सौभाग्य और वैवाहिक सुख की कामना के साथ आज देश और प्रदेशभर की सुहागिनें करवा चौथ का पवित्र व्रत रख रही हैं। सुबह से ही महिलाओं में सजने-संवरने, पूजा की थाली सजाने और करवा चौथ के गीतों की गूंज से माहौल भक्तिमय हो गया है। यह पर्व पति की दीर्घायु, सुख और समृद्धि की मंगलकामना से जुड़ा है।

ऊना/वीरेंद्र बन्याल

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इतिहास और परंपरा
करवा चौथ की परंपरा सैकड़ों वर्षों पुरानी है। कहा जाता है कि यह व्रत नारी शक्ति के अटूट विश्वास और समर्पण का प्रतीक है। “करवा” का अर्थ मिट्टी का बर्तन और “चौथ” का अर्थ चतुर्थी तिथि से है। यह व्रत कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत काल में द्रौपदी ने अर्जुन के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था, जबकि दूसरी कथा वीरावती की है, जिसने अपने पति के पुनर्जन्म के लिए यह व्रत रखा था।

व्रत की विधि
सुबह सूर्योदय से पहले महिलाएं “सरगी” ग्रहण करती हैं, जो सास द्वारा दी जाती है। इसके बाद पूरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है।
शाम को महिलाएं गौरी-गणेश की पूजा करती हैं, करवा चौथ की कथा सुनती हैं और रात में चांद के दर्शन के बाद छलनी से अपने पति का चेहरा देख कर व्रत खोलती हैं। पति अपने हाथों से पत्नी को पहला निवाला या पानी पिलाकर व्रत संपन्न कराता है।

सामाजिक और भावनात्मक पहलू
करवा चौथ सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव का त्योहार है। यह पति-पत्नी के बीच विश्वास, प्रेम और समर्पण को गहराई से दर्शाता है। आधुनिक युग में भी यह व्रत उतनी ही श्रद्धा से मनाया जाता है, चाहे महानगर हों या छोटे कस्बे।
अब कई स्थानों पर पति भी पत्नी के लिए उपवास रखकर समानता का संदेश दे रहे हैं।

बाजारों में रौनक
त्योहार को लेकर ऊना सहित प्रदेशभर के बाजारों में जबरदस्त रौनक है। सौंदर्य प्रसाधनों, मेहंदी, साड़ी, ज्वेलरी और पूजा सामग्री की दुकानों पर महिलाओं की भीड़ उमड़ रही है। ब्यूटी पार्लर और मेहंदी आर्टिस्ट्स के पास भी बुकिंग पूरी तरह फुल चल रही है।

आधुनिक समय में परंपरा का नया रूप
सोशल मीडिया के युग में करवा चौथ अब “ट्रेंडिंग फेस्टिवल” बन गया है। महिलाएं इंस्टाग्राम और फेसबुक पर अपनी पूजा थाली और तैयारियों की झलकियां साझा कर रही हैं। हालांकि, मूल भावना अब भी वही है — प्रेम, आस्था और परिवार की एकता।

करवा चौथ भारतीय संस्कृति की उस अद्भुत परंपरा का प्रतीक है, जिसमें स्त्री अपने जीवनसाथी की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन के लिए तप, त्याग और श्रद्धा का संगम करती है। बदलते युग में भले ही रीति-रिवाजों का रूप बदला हो, लेकिन करवा चौथ की भावना आज भी उतनी ही पवित्र और प्रेरणादायक है।

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