सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) के अंदर उप-वर्गीकरण किया जा सकता है, जिससे अधिक पिछड़े वर्गों को आरक्षण का लाभ मिल सके। कोर्ट ने यह भी कहा है कि क्रीमीलेयर की पहचान कर आरक्षण के दायरे से बाहर लाने की नीति बनाई जानी चाहिए, ताकि वास्तव में पिछड़े वर्गों को आरक्षण का लाभ मिल सके।
इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि एसटी कैटेगरी के तहत उप-वर्गीकरण नहीं किया जा सकता है, क्योंकि वे एक ही समरूप वर्ग में आते हैं। जस्टिस बीआर गवई ने अपने आदेश में कहा कि राज्यों को एससी/एसटी कैटेगरी वर्ग के बीच क्रीमी लेयर की पहचान करने और उन्हें आरक्षण लाभ के दायरे से बाहर निकालने के लिए एक नीति बनानी चाहिए।
जस्टिस पंकज मिथल ने कहा कि आरक्षण का लाभ केवल एक पीढ़ी तक ही सीमित रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर पहली पीढ़ी का कोई सदस्य आरक्षण के माध्यम से उच्च पद पर पहुंच गया है, तो दूसरी पीढ़ी को आरक्षण का हकदार नहीं होना चाहिए। इस आदेश से एससी/एसटी समुदाय के भीतर आरक्षण के बेहतर वितरण की उम्मीद है, और यह समाज के वास्तव में पिछड़े वर्गों को सहायता प्रदान करेगा।
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