भाजपा सिमट सकती है 7-8 पर, तो एक या दो कम्युनिस्ट को
HNN/ शिमला
पूर्व में रही डबल इंजन भाजपा सरकार की कथनी और करनी के फर्क पर शिमला नगर निगम के चुनाव कमल की रंगत में ढलते नजर नहीं आ रहे हैं। चुनावों का मुकाबला मुख्यता कांग्रेस और भाजपा के बीच में ही है मगर कम्युनिस्ट पार्टी में भी वार्ड नंबर 5, 6, 13 और 24 पर अपनी दावेदारी जताई है।
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हालांकि आम आदमी पार्टी भी मुकाबले को लेकर हल्की-फुल्की उत्सुक जरूर है मगर कहीं कोई जगह मिल रही है ऐसा नजर नहीं आता है। 34 वार्डों की जंग में यदि पूरा विश्लेषण कैंडिडेट वाइज देखा जाए तो शिमला की जनता ने इस बार तो कुछ और ही मूड बना लिया है। हालांकि इस नगर निगम के चुनाव को लेकर पहले ही टेक ऑफ कर चुकी थी।
मगर डॉक्टर बिंदल की देरी से भी एंट्री के बाद अब कुछ बेहतर सी उम्मीद मुद्दों के दम पर नजर आने लग पड़ी है। यही बड़ी वजह है कि जहां पहले भाजपा में खासतौर से महिलाओं के टिकट आवंटन को लेकर के पहले ही जंग शुरू हो चुकी थी, वहीं देरी के कारण डॉ. राजीव बिंदल ने भी कोई चेंज नहीं किया है।
नए प्रदेश अध्यक्ष अच्छी तरह जानते हैं और लगभग समझ भी चुके हैं कि कुछ असर मुद्दे डालेंगे और कुछ टिकट आवंटन, जिन्हें पार्टी ने मैदान में नहीं उतारा वह अब बगावती तेवरों में है। ऐसा नहीं है कि यह दशा कांग्रेस की नहीं है मगर इन्हें सत्ता का बड़ा फायदा भी मिल रहा है।
शहरी कांग्रेस अध्यक्ष जितेंद्र चौधरी भराड़ी वार्ड से प्रत्याशी बताए जा रहे हैं तो यहां भाजपा प्रत्याशी काफी मजबूत बताया जा रहा है। वार्ड नंबर 11, 12, 13 में चुनाव प्रचार की जिम्मेवारी कांग्रेस की ओर से नाहन के विधायक अजय सोलंकी को मिली थी, जहां सिम्मी नंदा कांग्रेस की पहले से विधायक है तो वहीं इस बार हेमंत कश्यप भी अच्छी पकड़ बनाए हुए हैं।
कृष्ण नगर में विपिन सिंह भाजपा कैंडिडेट से ज्यादा मजबूत बताए जा रहे हैं। तो वहीं न्यू शिमला वार्ड नंबर 32 में निशा और कुसुम लता के बीच कांटे की टक्कर हो सकती है। अब यहां असल में एक चीज और निकल कर सामने आई है वह है वीरभद्र फैक्टर। यह तो मानना पड़ेगा कि कमान संभालने के बाद डॉ. राजीव बिंदल बहुत ही कम समय दे पाए हैं बावजूद इसके वे अपना कूटनीतिक दांव खेल चुके हैं।
कांग्रेस के दोनों गुटों में कैसे मुद्दा बनाया जाए यह उन्होंने करके दिखा दिया है। बावजूद इसके जहां की सुखराम चौधरी नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर यहां तक की बड़े ठाकुर भी राउंड मार कर चले गए हैं। बावजूद इसके भाजपा की स्थिति काफी दयनीय है।
वहीं यह भी बताना जरूरी है कि नगर निगम के चुनाव के बाद यदि प्रदेश अध्यक्ष बदले जाते तो समीकरण कुछ और होते या फिर चुनावी लिस्ट जारी करने से पहले डॉ. राजीव बिंदल प्रदेश अध्यक्ष बन गए होते।
मौजूदा समय सत्या वर्मा, रूपचंद, विपिन उमंग, ममता चंदेल, नरेंद्र ठाकुर, कुलदीप ठाकुर, लक्ष्मी, सुरेंद्र चौहान, रचना भारद्वाज, राम रतन जैसे कांग्रेस के कैंडिडेट इस बार जिताऊ कैंडिडेट माने जा रहे हैं।
तो वहीं भाजपा की ओर से रमा कुमारी, कमलेश मेहता, अनूप वैद्य, कल्याण धीमान, हेमा कश्यप एक बेहतर स्थिति में या कहा जाए जीत की स्थिति में नजर आ रहे हैं। सबसे बड़ी बात तो यह है कि शिमला की जनता की जो नब्ज हिमाचल नाउ न्यूज़ के द्वारा टटोली गई है उसमें सत्ता में बैठी कांग्रेस को जनता ज्यादा कैच करने के मूड में है।
वहीं उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने बढ़ते ट्रैफिक दबाव, पानी की समस्या और मोनो ट्रेन जैसे मुख्य मुद्दों पर जो गारंटी दी है उसमें शिमला की जनता राहत महसूस करती हुई नजर आ रही है। पार्किंग की समस्या और ऐसे बहुत सारे रिहायशी मकान है जिन के नक्शे अभी तक पास नहीं हुए हैं उनको लेकर भी कांग्रेस ने पूरा भरोसा दिया है।
भाजपा केंद्र के दम पर राजधानी में सुधार व्यवस्था बनाना चाह रही है। मगर इसके पीछे जनता एक ही तर्क दे रही है कि जब भाजपा की सरकार थी और केंद्र का पूरा आशीर्वाद था तब इन मुद्दों को क्यों नहीं हल किया गया।
बरहाल, कुल मिलाकर कहा जाए कांग्रेस को अगर कुछ नुक्सान होगा तो उसमें पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का चुनाव प्रचार में फोटो का गायब होना माना जा सकता है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि शिमला में एंप्लाइज लोग ज्यादा रहते हैं, जिन्हें पहले ही सरकार ऑफिस का तोहफा दे चुकी है।
बरहाल कहा जा सकता है इस बार नगर निगम के चुनावों में कांग्रेस का कब्जा हो सकता है तो साथ ही बीजेपी 7 से 8 के बीच में सिमटकर एक या दो सीट कम्युनिस्टों के खाते में भी आती हुई नजर आ रही है।
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