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सीडब्ल्यूसी ने जीएसआई व आईसीएआर से श्री रेणुका जी बांध निर्माण को लेकर मांगी मृदा रिपोर्ट

Shailesh Saini | 9 सितंबर 2023 at 9:00 pm

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पीएम नरेंद्र मोदी ने किया था परियोजना का शिलान्यास, जल्द शुरू हो सकता है निर्माण कार्य

HNN/ श्री रेणुका जी

पीएम नरेंद्र मोदी के द्वारा 27 दिसंबर 2021 को शिलान्यास किए गए श्री रेणुका जी बांध के निर्माण का कार्य जल्द शुरू होने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। केंद्रीय जल आयोग सीडब्ल्यूसी के द्वारा इस निर्माण के पहले चरण की शुरुआत हेतु केंद्रीय मृदा एवं सामग्री अनुसंधान और भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण से भूमि संबंधी रिपोर्ट मांगी है।

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यही नहीं केंद्रीय जल आयोग के द्वारा इसके लिए 2 महीने का समय भी निर्धारित किया गया है। बता दें कि इस रेणुका बांध के निर्माण को लेकर नदी का रुख बदला जाना है। जिसके लिए डैड किलोमीटर लंबी डायवर्शन टनल बनाई जाएगी। यह सुरंग जिस जगह से बनाई जानी है वहां की मिट्टी की ताकत क्या होगी इसको लेकर मृदा रिपोर्ट मांगी गई है।

अब जैसे ही यह रिपोर्ट मिलती है उसके बाद बनाए जाने वाली इस परियोजना डिजाइन अंतिम कर दिया जाएगा। सूत्रों की माने तो इस बांध के निर्माण का कार्य इस वर्ष के अंत तक शुरू हो जाएगा। इस परियोजना के लिए बनाए जाने वाले बांध की ऊंचाई 148 मीटर होगी जबकि झील की लंबाई 22 किलोमीटर होगी। बांध की संग्रहण क्षमता 0.404 मिलियन एकड़ फुट होगी।

इस बांध के निर्माण के बाद गिरी नदी के प्रवाह में 110 फ़ीसदी की वृद्धि होगी। इसके पानी से दिल्ली, राजस्थान, उत्तराखंड, हरियाणा को पानी मिलेगा। ऊर्जा सचिव राजीव शर्मा हाल ही में दिल्ली में हुई बैठक में शामिल हुए थे जिसमें इस डैम के निर्माण को लेकर अहम फैसले हुए हैं। बता दें कि केंद्र सरकार इस डैम के निर्माण को लेकर काफी गंभीर भी है।

पूर्व में रही जयराम सरकार के द्वारा सरकार बनते ही मुख्यमंत्री रहे जयराम ठाकुर ने अपने पहले सिरमौर के दौरे में श्री रेणुका जी बांध के निर्माण को लेकर केंद्र सरकार के साथ सामंजस्य जैसे बनाए जाने की बात कही थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने भी अन्य राज्यों के साथ एक बैठक कर इस डैम के निर्माण को लेकर अंतिम रूप दिया गया था।

दिल्ली में हुई इस बैठक में राजीव शर्मा के द्वारा निर्माण कार्य शुरू करने हेतु 800 करोड़ के बजट की मांग भी रखी गई। बता दें कि इसके निर्माण का कार्य हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड को सौंपा गया है। इस परियोजना के कुल व्यय का 90 फ़ीसदी केंद्र सरकार जबकि 10 फ़ीसदी हिस्सा वे राज्य वहन करेंगे जिनसे इन्हें पानी दिया जाना है।

लाभ लेने वाले छह राज्य इसमें शामिल बताए जा रहे हैं। इस बांध के निर्माण से हिमाचल प्रदेश को 40 मेगावाट बिजली मिलेगी जोकी पूरी तरह से बैकलॉग फ्री होगी। वहीं इस डैम के निर्माण से विस्थापित होने वाले 1142 परिवारों के पुनर्स्थापना हेतु कोई भी कारगर योजना सामने नहीं आई है। हालांकि जिन लोगों की जमीन अधिग्रहण की गई है उनमें से अधिकतर को मुआवजा दिया भी जा चुका है।

यहां कई परिवार ऐसे भी हैं जो यहां के काशतकारों की जमीन पर सालों सालों से कम कर रहे थे और जिनकी यह जमीन थी वह खुद शहरों में रह रहे थे। ऐसे में इन परिवारों के ऊपर भी बेघर होने का संकट खड़ा हो रहा है। बरहाल क्षेत्र के विकास और पर्यटन को लेकर इस बहुउद्देशीय परियोजना के शुरू हो जाने के बाद प्रदेश सहित क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में भी बढ़ोतरी होगी।

देखना यह भी होगा कि अब अवसरवादी इस बांध के निर्माण में किस प्रकार और कितनी अड़चनें खड़ी करते हैं। ऐसे पावर कॉरपोरेशन यदि राष्ट्रहित परियोजना के तहत काम करता है तो निश्चित रूप से विरोध करने वालों को जेल की हवा भी खानी पड़ सकती है।

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