Himachalnow / नाहन
रिजर्व प्राइस में 1.22 करोड़ रुपये का इजाफा, 22 मार्च को होगा आवंटन प्रक्रिया का आयोजन
शराब ठेकों की नीलामी की प्रक्रिया शुरू
सिरमौर जिले में आबकारी विक्रय केंद्रों के आवंटन की प्रक्रिया के लिए विभाग ने पूरी तैयारियां पूरी कर ली हैं। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जिले के सभी शराब यूनिट्स की नीलामी/टेंडर मार्च 2025 को एसएफडीए हॉल, नाहन में सुबह 11:30 बजे आयोजित की जाएगी।
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इस बार 6/9 फार्मूला अपनाया गया
इस वर्ष आबकारी विभाग ने पहले से अलग 6/9 फार्मूला अपनाया है। पिछले वर्षों में सिरमौर जिले में 6 यूनिट बनाए गए थे, लेकिन इस साल इन्हें बढ़ाकर 9 कर दिया गया है। इन 9 यूनिट्स के अंतर्गत 93 शराब विक्रय केंद्रों को शामिल किया गया है।
रिजर्व प्राइस में बड़ा इजाफा
इस साल की रिजर्व प्राइस 79 करोड़ 62 लाख 48 हजार 160 रुपये रखी गई है, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 1 करोड़ 22 लाख 48 हजार 162 रुपये अधिक है। इससे सरकार और विभाग को अच्छा राजस्व लाभ होने की उम्मीद है, हालांकि सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि नीलामी और टेंडर प्रक्रिया पहले दिन कितनी सफल रहती है।
यूनिट-वार रिजर्व प्राइस
इस बार सिरमौर जिले के 9 आबकारी यूनिट्स की रिजर्व प्राइस इस प्रकार निर्धारित की गई है:
- यूनिट 1 (नाहन): ₹8,60,22,886
- यूनिट 2 (काला अंब): ₹6,20,70,169
- यूनिट 3 (ददाहू): ₹7,59,84,178
- यूनिट 4 (राजगढ़): ₹9,17,76,272
- यूनिट 5 (नैना टिक्कर): ₹9,17,78,110
- यूनिट 6 (खजूरना बहराल): ₹10,06,64,504
- यूनिट 7 (बद्री नगर-शिलाई): ₹12,17,82,601
- यूनिट 8 (खोड़री माजरी): ₹7,93,79,031 (उत्तराखंड बॉर्डर से सटा क्षेत्र)
- यूनिट 9 (पांवटा साहिब): ₹8,57,90,408
विक्रय केंद्रों के आवंटन की निगरानी
सिरमौर के आबकारी आयुक्त हिमांशु पवार ने बताया कि विक्रय केंद्रों के आवंटन की प्रक्रिया जिलाधिकारी सिरमौर की अध्यक्षता में गठित एक समिति द्वारा पूरी की जाएगी। यह प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से की जाएगी, ताकि आबकारी विक्रय केंद्रों का आवंटन न्यायसंगत और सुव्यवस्थित ढंग से हो सके।
हरियाणा और उत्तराखंड सीमा पर शराब तस्करी की चुनौती
सिरमौर जिला हरियाणा और उत्तराखंड बॉर्डर से सटा हुआ क्षेत्र है, जिससे सस्ती शराब की तस्करी एक बड़ी चुनौती बन जाती है। इस वजह से शराब ठेकेदारों को अक्सर मुनाफे की जगह नुकसान उठाना पड़ता है।
शराब माफियाओं की सक्रियता और ठेकेदारों की मुश्किलें
नाहन से पांवटा साहिब के बीच शराब माफियाओं का प्रभाव काफी अधिक है। इस क्षेत्र में गैरकानूनी शराब व्यापार सक्रिय रूप से चलता रहता है। ऐसे में ठेकेदारों के लिए लाभ कमाना कठिन हो जाता है, और वे सिर्फ अपने लाइसेंस को ब्लैकलिस्ट होने से बचाने के लिए संघर्ष करते हैं।
सरकार को लाभ, लेकिन ठेकेदारों को मुश्किलें
सरकार हर साल शराब नीलामी से राजस्व बढ़ाने में सफल रहती है, लेकिन इस व्यापार में ठेकेदारों को कई व्यावसायिक और कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। आगामी टेंडर प्रक्रिया से यह स्पष्ट हो जाएगा कि इस साल शराब व्यापारियों की प्रतिक्रिया कैसी रहती है।
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