HNN/ ऊना वीरेंद्र बन्याल
विकासखण्ड ऊना के तहत रैंसरी, झलेड़ा, ख्वाजा बसाल, घंडावल व कोटलां खुर्द प्राथमिक कृषि सहकारी सभाओं के पदाधिकारियों व सदस्यों के लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर ऊनकोफैड के चेयरमैन राजेन्द्र शर्मा ने कहा कि सहकारी विकास संघ सीमित ( ऊनकोफैड) ने प्राथमिक सहकारी सभाओं को सभा की कार्यप्रणाली से अवगत करवाने के साथ उनके कर्तव्यों, अधिकारों से भली प्रकार परिचित करवाने के उद्देश्यों को लेकर ऊनकोफैड द्वारा प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जा रहे हैं।
राजेंद्र शर्मा ने कहा कि वर्तमान परिवेश में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता है ताकि रोजगार के संसाधनों व व्यवसायिक साधनों का विकास हो सके और युवाओं को शहरों में पलायन करने की बजाय गावों में ही आय के संसाधन पैदा हो। सभाओं द्वारा घर द्वार पर किसानों की खेती व वित्तीय आवश्यकताएं सुलभ ढ़ग से उपलब्ध हो सकें। सहकारी सभाओ के संचालन में सहकारी अधिनियम व नियमों के संदर्भ में उनकी अनुपालना सुनिश्चित हो सके।
राजेंद्र शर्मा ने बताया कि सभा की प्रबंधक कमेटी की बैठक में सभा में किए गए कार्यों का अनुमोदन किया जाता है। इन कार्यों का लेखा-जोखा सभा के सचिव द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। अनुमोदन के बाद प्रबंधक कमेटी उन सभी प्रकार के कार्यों के लिए जिम्मेदार होती हैं जिनका बैठक में अनुमोदन किया जाता है। जहां प्रबंधक कमेटी सभा के विकास व विस्तार में अपनी रचनात्मक भूमिका निभाती है वही दूसरी तरफ सभा में किसी भी प्रकार की अनियमितताओं के लिए भी जिम्मेदार हैं।
इसलिए सभा के किसी भी कार्य को अनुमोदन करने से पूर्व उसकी भली-भांति जांच करें। सभा के कार्य को सुचारू रूप से चलाने के लिए सभा के कर्मचारियों व प्रबंधक कमेटी आपसी विश्वास व ईमानदारी को सुनिश्चित करना अति आवश्यक हैं। सभा के कर्मचारियों को अपनी ड्यूटी की पालना सुनिश्चित करने के साथ-साथ उनके सेवा नियमों व वेतनमानों की भी जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि सभा का वार्षिक अधिवेशन सहकारी अधिनियम में अनिवार्य हैं।
जिसमें सभा के वर्ष भर के कार्यों का अनुमोदन किया जाता हैं। सभा के वित्तिय वर्ष के अंकेक्षण रिपोर्ट को साधारण अधिवेशन में प्रस्तुत करके चर्चा उपरांत अनुमोदन किया जाता है। यदि उसमें कोई कमी है उसमे सुधार का निर्णय ले। अगामी वर्ष की सभा की कार्य योजना को भी प्रस्तुत करें ताकि सभा के कारोबार में विस्तार हो सके। यदि सभा के ऋणी अपने ऋण की अदायगी समय पर नहीं करते तो उनके विरुद्ध सालसी कारवाई का निर्णय लेकर वसूली को सुनिश्चित किया जा सके।