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शिमला पार्लियामेंट्री रण 2024 अमित नंदा वर्सिज सुरेश कश्यप या…

Shailesh Saini | 19 नवंबर 2023 at 3:23 pm

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दोनों चेहरों के अलावा इन चेहरों का भी है चर्चा मगर….

HNN/ शिमला

लोकसभा चुनाव 2024 हिमाचल प्रदेश की चारों सीटों पर संभावित भाजपा कांग्रेसी चेहरों की प्रति छाया दिखनी शुरू हो गई है। बात करते हैं शिमला पार्लियामेंट्री सीट की जिसमें 17 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। इस पार्लियामेंट्री सीट पर 2009 के बाद भाजपा का परचम बुलंद रहा है। इस सीट पर कोली बिरादरी का कब्जा रहा है। इसकी बड़ी वजह यह सीट शेड्यूल कास्ट के लिए रिजर्व है। लिहाजा सिरमौर और सोलन दोनों इस बिरादरी के गढ़ रहे हैं।

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लिहाज़ा कांग्रेस और भाजपा ने भी इन दोनों ही जिलों को संभावित प्रत्याशियों के लिए पूर्व में सुनिश्चित किया हुआ है। मगर इस बार संभवत कांग्रेस अपनी रणनीति में बदलाव लाते हुए एक ऐसे चेहरे पर दावा खेल रही है जो जुब्बल कोटखाई से लेकर शिमला, सोलन, सिरमौर तक पकड़ बनता है। कांग्रेस के इस संभावित चेहरे कि यदि बात की जाए तो अमित नंदा सोलन जिला से ताल्लुक रखने वाले पूर्व में मंत्री रहे व पांच बार विधायक रहे रघुराज परिवार के दामाद हैं।

नालागढ़ में और सिरमौर में इनका पेट्रोल पंप भी है जहां पर स्थानीय युवाओं को इन्होंने रोजगार भी दे रखा है। मौजूदा समय प्रदेश कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के राज्य अध्यक्ष भी हैं। प्रदेश कांग्रेस में महासचिव पद पर रहने के दौरान 2022 में वह सिरमौर जिला के प्रभारी भी रह चुके हैं। बड़ी बात तो यह है कि जिला सिरमौर से मुस्लिम बिरादरी को इन्होंने संगठन में तवज्जो भी दिलवाई है। जिसमें सीधे-सीधे करीब 18,000 वोटो का इन्हें अच्छा खासा लाभ भी मिलता है।

युवा वर्ग के बीच मजबूत पकड़ और सौम्य स्वभाव के साथ केंद्र के शीर्ष नेतृत्व में भी इन पर वरदहस्त माना जाता है। 17 विधानसभा क्षेत्र में यदि बात की जाए तो जुब्बल कोटखाई क्षेत्र के क्यारी बेल्ट की पनोग पंचायत में इनका पैतृक गांव और जन्मस्थली है। मौजूदा समय शिमला राजधानी में यह स्थाई तौर पर रह रहे हैं। बड़ी बात तो यह है कि अमित नंदा की पत्नी शिमला नगर निगम के नाभा वार्ड से पार्षद भी हैं।

कुल मिलाकर कहां जाए तो जुब्बल कोटखाई से लेकर सिरमौर तक वोट बैंक का समीकरण भावी प्रत्याशी पर अपनी मोहर लगता है। मौजूदा समय सरकार भी कांग्रेस की है और सिरमौर और सोलन जिला से कैबिनेट स्तर के मंत्री भी इनके समीकरणों को जस्टिफाई करते हैं। हालांकि कांग्रेस की ओर से विनोद सुल्तानपुरी के नाम की भी चर्चा सुनाई देती है मगर जानकारी यह भी है कि सुल्तानपुरी की दिल्ली जाने की कोई इच्छा नहीं है।

ऐसे में कहा जा सकता है कि कांग्रेस की ओर से लगभग लगभग अमित नंदा का नाम फाइनल किया जा सकता है। अब यदि बात की जाए भाजपा की तो सुरेश कश्यप एक ईमानदार और साफ- सुथरी छवि के सांसद हैं। सैनिक पृष्ठभूमि रखते हैं और लगातार अपने पार्लियामेंटिक क्षेत्र में सक्रिय भी हैं। सुरेश कश्यप के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रहने के दौरान उन पर दोहरा दायित्व था। तो वहीं बीते विधानसभा चुनाव में संगठन आत्मक नजरिए से उन्हें काफी व्यस्त भी रहना पड़ा।

बावजूद इसके सांसद निधि और केंद्र के तमाम प्रायोजित कार्यक्रमों और योजनाओं को लेकर जितनी भी बैठके हुई थी उन में वह सक्रिय रूप से मौजूद भी रहे। किसानों के लिए केंद्र की बेहतर योजनाएं अपने संसदीय क्षेत्र में लागू करवाने को लेकर उनके प्रयास सफल भी माने गए हैं। बड़ी बात तो यह है कि प्रदेश अध्यक्ष के दायित्व से निवृत होने के बाद वह लगातार अपने पार्लियामेंट्री क्षेत्र में सक्रिय बने हुए हैं।

यही नहीं सुरेश कश्यप के ऊपर भाजपा के किसी भी गुट का या कहें गुटबाजी का दाग नहीं लगा है। कोली बिरादरी में आज भी वह मजबूत पकड़ रखते हैं। जाहिर है उनकी साफ-सुथरी छवि और लोगों में उनकी लोकप्रियता और उसके साथ-साथ मोदी फैक्टर सुरेश कश्यप की 2024 के रण के लिए मजबूत स्थिति बनता है। परिचित चेहरा है ऐसे में भाजपा यदि किसी दूसरे चेहरे पर दावा खेलती है तो संभवत अमित नंदा के रास्ते और ज्यादा आसान हो जाएंगे।

हालांकि चर्चा रीना कश्यप के नाम पर भी चल रही है। ऐसे में यदि रीना कश्यप को मैदान में उतरकर भाजपा उन्हें दिल्ली भेजती है तो प्रदेश की विधानसभा में भाजपा भी महिला विहीन हो जाएगी। जिसका सीधे-सीधे नुकसान मोदी सरकार के महिला आरक्षण के वायदे को पहुंचेगा। यही नहीं पच्छाद विधानसभा क्षेत्र में फिर उपचुनाव के बाद कांग्रेस किसी भी सूरत में यहां भाजपा को काबिज नहीं होने देगी।

ऐसे में सुरेश कश्यप के अलावा कोई भी चेहरा भाजपा की ओर से मैदान में दमदार स्थिति में नजर नहीं आता है। कांग्रेस में संभावना है तो श्री रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र के विधायक विनय कुमार की भी लगाई जा रही हैं। मगर विनय कुमार सिरमौर में भले ही अच्छी पहचान रखते हो मगर 17 विधानसभा क्षेत्र में से अधिकतर में उनका कहीं भी जिक्र नहीं होता है।

चलिए अब आपके यहां यह भी बता दें कि शिमला संसदीय सीट पर सबसे पहली लोकसभा पंजाब स्टेट अंबाला शिमला सीट थी जिस पर कांग्रेस के टेक सांसद थे। दूसरी विधानसभा में यह सीट शिमला महासू सीट मानी जाती थी जिस पर हिमाचल निर्माता डॉक्टर वाईएस परमार और उसके बाद महासू शिमला सीट पर नेक राम कांग्रेस के प्रत्याशित थे और सांसद बने थे।

तीसरी लोकसभा 1962, 1967 यह सिरमौर थी तथा चौथी लोकसभा 1967 से 1971 में उपचुनाव व पांचवीं लोकसभा 1971 से 1976 यह शिमला सीट बनी थी जिस पर कांग्रेस के प्रताप सिंह सांसद रहे थे। उसके बाद 7, 8, 9, 10, 11, 12 लगातार 6 बार लोकसभा शिमला सीट पर कांग्रेस के सोलन जिला से ताल्लुक रखने वाले केडी सुल्तानपुरी का लंबा कब्जा रहा। उन्हीं के बेटे विनोद सुल्तानपुरी सोलंकी कसौली सीट से विधायक भी हैं।

13वीं लोकसभा 1999 से 2004 और 2004 से 2009 यानी 14वीं लोकसभा पर कांग्रेस के धनीराम शांडिल जो कि मौजूदा समय प्रदेश कैबिनेट में स्वास्थ्य मंत्री हैं वह सांसद रह चुके हैं। उसके बाद 2019 तक भाजपा के वीरेंद्र कश्यप जो कि सोलन जिला से ताल्लुक रखते थे वह सांसद रहे। 17वीं लोकसभा पर वीरेंद्र कश्यप के बाद भाजपा ने जीते हुए प्रत्याशी की जगह विधायक रहे सुरेश कश्यप को मैदान में उतरकर भारी मतों से जितवाया था।

कहा जा सकता है कि हिमाचल निर्माण के बाद केवल दो टेन्योर ही भाजपा के खाते में रहे हैं। बरहाल 2024 के रण में जबकि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और केंद्र में मोदी का देश और दुनिया पर दबदबा ऐसे में यह सीट आने वाले लोकसभा चुनाव में काफी हॉट भी मानी जा रही है। देखना यह भी होगा कि मोदी लहर या फिर सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार का व्यवस्था परिवर्तन किसकी जीत सुनिश्चित करता है।

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